कैराना की इकरा हसन के बाद पुष्पेंद्र सरोज दूसरे सपा उम्मीदवार हैं, जो सीधे लंदन से यूपी की सियासी रणभूमि में उतरे हैं। लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी का यह युवा स्नातक अपनी उम्मीदवारी की औपचारिक घोषणा से पहले ही प्रचार करना और समाज भर के लोगों से जुड़ना शुरू कर दिया है। पुष्पेंद्र 2019 के चुनाव के दौरान अपने पिता इंद्रजीत सरोज की हार का बदला लेने का प्रयास करने के लिए यहां आए हैं। अभी 1 मार्च को ही उनकी उम्र 25 साल पूरी हुई है।
यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री के बेटे हैं पुष्पेंद्र
ठीक 25 साल पूरे होने पर पुष्पेंद्र सरोज कौशांबी संसदीय सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में राजनीतिक मैदान में उतरे हैं। वह पांच बार के विधायक और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री इंद्रजीत सरोज के बेटे हैं। एक मार्च, 1999 को जन्मे पुष्पेंद्र तीन बड़ी बहनों के बाद सबसे छोटे हैं।
अकाउंटिंग एंड मैनेजमेंट में बीएससी करने के लिए लंदन जाने से पहले देहरादून के वेल्हम बॉयज़ स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने वाले पुष्पेंद्र कहते हैं, “आज युवाओं और आम लोगों के सामने सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी और मुद्रास्फीति और युवाओं की भागीदारी है। इन समस्याओं को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए राजनीति जरूरी है। मैं निर्वाचित होने पर इन मुद्दों को संसद में प्रभावी ढंग से उठाने के लिए प्रतिबद्ध हूं।''
'मेरे लिए राजनीति कोई पेशा नहीं, बल्कि लोगों की सेवा है'
पुष्पेंद्र देश की सेवा के लिए राजनीतिक क्षेत्र में आने वाले युवाओं के बड़े पैरोकार हैं। उन्होंने कहा, “जब तक युवा राजनीति में नहीं आएंगे, वे बदलाव लाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? उन्हें अपने स्वयं के मुद्दों का समाधान करना चाहिए और जल आपूर्ति, स्वच्छता, बिजली और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे क्षेत्रों पर फोकस करना चाहिए। मैं समाज के सभी वर्गों के लिए समावेशिता और न्याय में दृढ़ विश्वास रखता हूं, जैसा कि मेरे पिता ने मुझे सिखाया है, जिन्होंने मेरी राजनीतिक विचारधारा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।” पुष्पेंद्र का कहना है कि राजनीति उनके लिए कोई पेशा नहीं, बल्कि लोगों की सेवा है।
सपा नेताओं का कहना है कि पुष्पेंद्र की उम्मीदवारी इस बात का एक और संकेत है कि पार्टी उन युवा नेताओं को तरजीह दे रही है, जो युवाओं की आकांक्षाओं और समस्याओं के साथ बेहतर तालमेल रखते हैं।
भाजपा लहर में हारे इंद्रजीत सरोज
वहीं, आपको बता दें कि साल 2017 में यूपी में भाजपा की ऐसी लहर चली कि इंद्रजीत सरोज भी अपनी सीट हार बैठे। इस दौरान 4160 वोटों से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बताया जाता है कि इसके बाद उनका मायावती से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। इसके बाद उन्हें पार्टी छोड़ दी और वह सपा में शामिल हो गए। पासी समाज का बड़ा नेता होने के चलते सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उनके कद को कम नहीं किया। सपा ने भी उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया।
साल 2019 में इंद्रजीत सरोज को सपा ने कौशांबी से अपना लोकसभा उम्मीदवार बनाया लेकिन उन्हें चुनाव में भाजपा के विनोद सोनकर ने हरा दिया। इसके बाद सपा के टिकट पर इंद्रजीत सरोज ने मंझनपुर सीट से साल 2022 में विधानसभा चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई। अब सपा ने उनके बेटे पुष्पेंद्र सरोज को टिकट दे दिया है।
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