उत्तर प्रदेश के जालौन में महान संत राजेशश्वरानंद रामायणी के जन्मोत्सव पर देश के प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास ने शिरकत की। उन्होंने सभी श्रोतागणों को प्रणाम करते हुए अपनी बात शुरू की। इस दौरान एक वाकया ऐसा हुआ कि पूरा पांडाल श्रोतागणों की तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कुमार विश्वास ने कहा, हमारा देश महान है कि ऐसे संत समाज को सुधारने और संवारने के लिए अवतरित होते रहते हैं। मैं हमेशा अपनी बातों में राजेश्वर आनंद रामायणी जी के प्रवचनों का इस्तेमाल करता हूं और उनकी की गई बातों का हमेशा अनुसरण करने की कोशिश करता हूं। हमें कभी भी अपनी इच्छाओं को समाप्त नहीं करना चाहिए हर किसी की इच्छा होती है कि कोई पैसा कमाए, जिसका व्यवसाय है उसका व्यवसाय अच्छा चले।
आगे उन्होंने कहा, मेरी भी इच्छा है कि मेरी वाणी को पूरा विश्व पसंद करे, उसे सुने। मेरी यह भी इच्छा है कि मैं एक दिन आप सबके सामने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करूं। इस कथन के बाद वहां आए हुए श्रोतागणों की तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा पांडाल गूंज उठा।
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पचोखरा धाम में 5 दिवसीय श्री राम महायज्ञ का आयोजन
पचोखरा धाम में महान संत राजेश रामायणी जी के जन्मोत्सव पर पांच दिवसीय श्री राम महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है जिसमें शामिल होने के लिए देश की प्रसिद्ध हस्तियां आ रही हैं। मंगलवार शाम को कुमार विश्वास पचोखरा धाम पहुंचे जहां उन्होंने सबसे पहले संत जी की प्रतिमा को फूल चढ़कर उनका आशीर्वाद लिया इसके बाद मंच पर बैठकर उन्हें सुनने के लिए लोगों से संवाद स्थापित किया।
आखिर क्यों महान है संत राजेश्वरानंद रामायणी जी?
कुमार विश्वास ने बताया कि मैं संत राजेश्वरानंद रामायणी जी के साथ ज्यादा समय नहीं दे पाया और इसका मुझे बहुत भारी कष्ट है लेकिन जितना भी साथ मिला वो कभी नही भूल सकता। देश में मानस पाठ की कथा सभी संत करते है लेकिन उनके मानस पाठ में विशिष्ट बात थी उनके कथा में प्रसंग को देखने की दृष्टि , भगवान हनुमान को बांध कर रावण के दरबार में लाए गए। इसका व्याख्या सभी करते लेकिन हमने यह महसूस किया कि महान संत रामायणी जी की चर्चा उसके पीछे निहितार्थ क्या है इसकी गुण व्याख्या जो इन्होंने की वो किसी ने नहीं की।
'कई लोग राम के नाम पर बन जाते हैं विधायक'
कुमार विश्वास ने रामायण में दृष्टि के अंतर की व्याख्या करते हुए स्तोत्र गानों की बात बताई कि मानस पाठ में दो लोगों की दृष्टि में कितना अंतर था। एक रावण की बहन सूर्पनखा उसने किस दृष्टि से भगवान श्री राम को देखा और एक सब की मां शबरी मां जब उनके पास प्रभु श्री राम आए तो उन्होंने किस दृष्टि से श्री राम जी को दिखा। तो यह सभी को ज्ञात है कि दृष्टि से कितना अंतर आ जाता है और इस दृष्टि से सभी आजकल कई लोग प्रभु श्री राम के नाम को लेकर विधायक बन जाते हैं और कई लोग प्रभु श्री राम का विरोध करते हुए विधायक बन जाते हैं। इस बात पर भी लोगों ने खूब तालियां बजाई
(रिपोर्ट- वरुण द्विवेदी)
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