Sunday, December 08, 2024
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यूपी में अब जौनपुर की अटाला मस्जिद पर विवाद, हाई कोर्ट पहुंचा मामला, भड़के ओवैसी

जौनपुर में 14वीं शताब्दी की अटाला मस्जिद ने एक स्थानीय अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

Written By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : Dec 07, 2024 9:14 IST, Updated : Dec 07, 2024 10:12 IST
जौनपुर अटाला मस्जिद- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV जौनपुर अटाला मस्जिद

जौनपुरः देश में मंदिर-मस्जिद विवाद का मामले थमने का नाम नहीं ले रहा है। संभल के बाद अब जौनपुर जिले की मशहूर अटाला मस्जिद में मंदिर होने का दावा किया गया है। अटाला मस्जिद में मंदिर होने का दावा करते हुए स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने जौनपुर कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। याचिका में वहां पर पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की गई है। अटाला मस्जिद प्रशासन की तरफ से अब इस मामले के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। अब हाई कोर्ट को तय करना है कि जौनपुर की अदालत में मुकदमें की सुनवाई हो सकती है या नहीं। मामले की सुनवाई सोमवार यानी 9 दिसंबर को होगी।

'अटाला देवी मंदिर' होने का दावा

एसोसिएशन और एक संतोष कुमार मिश्रा द्वारा दायर याचिका में यह दावा किया गया है कि अटाला मस्जिद पहले 'अटाला देवी मंदिर' थी। इसलिए सनातन धर्म के अनुयायियों को उसमें पूजा करने का अधिकार है। वे मुकदमे की संपत्ति पर कब्जे के लिए प्रार्थना करते हैं। साथ ही प्रतिवादियों और अन्य गैर-हिंदुओं को संबंधित संपत्ति में प्रवेश करने से रोकने के लिए आदेश देने की मांग करते हैं। 

जौनपुर कोर्ट ने जारी किया था ये आदेश

इसी साल अगस्त में जौनपुर की कोर्ट ने आदेश जारी कर मुकदमें की पोषणीयता को मंजूरी दी थी। साथ ही जज ने कहा था कि उनके यहां यह मुकदमा चलने योग्य है। 29 मई को कोर्ट ने मुकदमें को रजिस्टर्ड कर सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया था। 

वक्फ अटाला मस्जिद ने हाई कोर्ट में कही हैं ये बातें

वक्फ अटाला मस्जिद जौनपुर की तरफ से हाई कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है याचिकाकर्ता स्वराज वाहिनी एसोसिएशन की याचिका में दोष है। क्योंकि वादी  सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत एक सोसायटी, एक न्यायिक व्यक्ति नहीं है। इसमें आगे कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट को इन आधारों पर शिकायत खारिज कर देनी चाहिए थी। लोकल कोर्ट ने मुकदमे के पंजीकरण का निर्देश देने में गलती की। 

वक्फ अटाला मस्जिद का यह भी तर्क है कि विचाराधीन संपत्ति को एक मस्जिद के रूप में पंजीकृत किया गया है और 1398 में इसके निर्माण के बाद से इसका लगातार उपयोग किया जा रहा है और मुस्लिम समुदाय जुमा की नमाज सहित नियमित प्रार्थना करता है। इसके अलावा, यह तर्क दिया गया है कि यहां तक ​​कि वक्फ बोर्ड को भी वाद में एक पक्ष नहीं बनाया गया।

 भड़के असदुद्दीन ओवैसी

इस मामले पर असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि भारत के लोगों को इतिहास के उन झगड़ों में धकेला जा रहा है जहां उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था। कोई भी देश महाशक्ति नहीं बन सकता अगर उसकी 14% आबादी लगातार ऐसे दबावों का सामना करती रहे। प्रत्येक "वाहिनी" "परिषद" "सेना" आदि के पीछे सत्ताधारी दल का अदृश्य हाथ होता है।  

(जौनपुर से सुधाकर शुक्ला की रिपोर्ट)

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