
उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट से सांसद इकरा हसन इंडिया टीवी के कॉनक्लेव 'SHE' में शामिल हुईं। महिला सशक्तिकरण पर आधारित इस कॉनक्लेव में उन्होंने कहा कि वह बहुत मुश्किल हालातों में राजनीति में आईं। वह जब लंदन से वापस लौटी थीं, तब घर में कोई नहीं था। ऐसे हालातों में उन्होंने घर की जिम्मेदारियां संभाली और राजनीतिक विरासत को भी स्वीकार किया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने उनके भाई और मां को झूठे केस में बंद कर दिया था। ऐसे में उन्होंने अकेले ही परिवार की राजनीतिक विरासत संभाली।
इकरा हसन ने महिलाओं के रोजगार और शिक्षा को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि बहुत कुछ हो चुका है। देश में महिलाओं की हालत बहुत बेहतर हुई है, लेकिन अभी भी बहुत काम करना बाकी है। इकरा ने कहा कि हम बैठकर अपनी पीठ नहीं थपथपा सकते। उन्होंने कहा कि शहरों में महिलाओं की हालत बेहतर हुई है, लेकिन गांव की महिलाओं को आगे लाने के लिए उन्हें शिक्षित करना होगा और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने होंगे।
महिला बिल पर सरकार को घेरा
महिला बिल के समर्थन पर उन्होंने कहा कि महिला रवांडा की संसद में 50 फीसदी से ज्यादा भागीदारी महिलाओं की है। भारत की संसद में सिर्फ 14 फीसदी महिलाएं हैं। सरकार बिल लेकर आई है, लेकिन उसे लागू होने में कम से कम 10 साल लगेंगे। सरकार कई सारे बिल लेकर आती है, जो एक दिन में पास हो जाते हैं, लेकिन सरकार ने इसे परिसीमन और जनगणना से जोड़ दिया है। किसी को नहीं पता कि परिसीमन कब होगा। देश की महिलाएं आज बदलाव चाहती हैं। सरकार को आज ही महिला आरक्षण बिल लागू करना चाहिए।
पिता की कहानियों से सीखती हूं- इकरा
यूपी की कैराना से समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा सपा विधायक नाहिद हसन की बहन हैं। इकरा के पिता-माता दोनों सांसद रह चुके हैं। उनके पिता मुनव्वर हसन लोकसभा और राज्यसभा सांसद रहे थे। पिता की विरासत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह 14 साल की थीं, जब उनके पिता दुनिया छोड़कर चले गए थे। उनको गए हुए 16 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी लोग उनके पिता की कहानियां सिखाते हैं और वह उन कहानियों से सीख लेती हैं।
हिजाब पहनना निजी फैसला
इकरा की पढ़ाई दिल्ली में हुई। उन्होंने कहा "मुझे दिल्ली घर जैसा लगता है। मेरे जीवन के 20 साल दिल्ली में बीते। लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी से वकालत की डिग्री हासिल की और आगे जाकर लंदन से मास्टर की पढ़ाई की। वहीं, हिजाब से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि हिजाब को लेकर चर्चा नहीं होनी चाहिए। हिजाब पहनना या ना पहनना खुद की च्वॉइस है। सिर ढकना हमारे समाज का हिस्सा है। जहां से मैं आती हूं, वहां हर महिला सिर ढंकती है। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है।