बरसाना और नंदगांव के बाद होली का धमाल आज मथुरा में मचा है। यहां रंग, गुलाल, फूल और नाच-गानों के साथ हुरियारों ने भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर खूब धूम मचाई और पूरा जन्मस्थान परिसर राधा कृष्ण की प्रेम भरी होली के रंग में रंग गया। प्रकृति के इस आलौकिक बसंत उत्सव में होली का विशेष महत्व है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि होली की शुरुआत द्वापर युग में श्रीकृष्ण के हाथों हुई थी और तब से ही बृज में होली का विशेष महत्व है। बृज में होली का हुल्लड़ बसंत पंचमी से शुरू होकर अगले 45 दिनों तक चलता है। कहा जाता है कि बरसाना और नंदगांव में होली खेलने के बाद भगवान आज यानि रंग-भरी एकादशी के दिन मथुरा में होली खेलने आये थे।
राधा-कृष्ण के स्वरूपों ने किया रासलीलाओं का मंचन
होली के इस पावन अवसर पर आज जन्मस्थान लीलामंच पर राधा-कृष्ण के स्वरूपों ने उनकी रासलीलाओं का मंचन किया, जिसमें मथुरा के हुरियारे और हुरियारिनों ने लोक गीतों पर जमकर ठुमके भी लगाए। फिर वहां चाहे बृज का मशहूर "मयूर नृत्य" हो या फिर "चरकुला नृत्य", इस मनमोहक प्रस्तुति को देखकर वहां मौजूद सभी श्रद्धालू मन्त्र-मुग्ध हो गए और सभी नाचते गाते हुए प्रिया-प्रीतम के रंग में रंग गए। लीला मंच पर उपस्थित राधा कृष्ण के स्वरूपों ने जैसे ही श्रद्धालुओं पर फूलों की वर्षा की तो बस मंच पर खड़ी हुरियारिन खुद को रोक ना सकीं और हुरियारों पर जम कर प्रेम की लाठियां भी बरसाईं।
होली की व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन मुस्तैद
भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर खेली गयी ये अलौकिक होली इस बात का प्रमाण है कि जो श्रद्धालू एक बार यहां आकर बृज की इस होली का आनंद ले लेता है, वो इसे जीवन भर नहीं भूल पाता है। इस होली की अलौकिकता देखते ही बनती है और हर कोई भगवान के रंग में अपने को रंगना चाहता है। होली की सुरक्षा व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस फ़ोर्स तैनात किया है। किसी भी श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो, जिला प्रशासन ने उसके लिए व्यापक इंतजाम किये हैं। वहीं मथुरा-वृन्दावन नगर निगम ने सफाई व्यवस्था के साथ ही पीने के पानी की व्यवस्था भी की है।
(रिपोर्ट- मोहन श्माम शर्मा)