उत्तर प्रदेश: हाथरस में 2020 के रेप और हत्या मामले में एकमात्र दोषी के परिवार ने निचली अदालत के फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। उसके वकीलों ने यह जानकारी दी। हाथरस की एक विशेष अदालत ने 2 मार्च को मामले के मुख्य आरोपी संदीप सिसोदिया को गैर-इरादतन हत्या और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था, लेकिन उन्हें बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया था। उसके साथ गिरफ्तार तीन अन्य को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।
लड़की के बलात्कार और हत्या से संबंधित मामला
मामला 14 सितंबर, 2020 को चंदपा थाना क्षेत्र के बूलगढ़ी गांव में 19 वर्षीय दलित लड़की के कथित बलात्कार और हत्या से संबंधित था। चार स्थानीय लोगों पर पीड़िता के साथ उस समय बलात्कार करने का आरोप लगाया गया, जब वह मवेशियों के लिए चारा लेने निकली थी। हमले के बाद वह आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गई थी और उसे पास के अलीगढ़ शहर के एक अस्पताल में ले जाया गया, जहां उसने अपना बयान भी दर्ज कराया। उसे इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई।
निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती
संदीप सिसोदिया के परिवार के सदस्यों ने निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। अदालत में चारों आरोपियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील एमएस पुंधीर ने कहा, "संदीप भी निर्दोष था और उसके परिवार ने हाई कोर्ट में अपील का फैसला किया है। चारों के खिलाफ आरोप समान थे। अदालत ने तीन को बरी कर दिया और केवल संदीप सिसोदिया को दोषी ठहराया। हम संदीप को उन्हीं शर्तों के तहत बरी करने के लिए हाई कोर्ट का रुख करेंगे, जिसमें तीन अन्य को बरी किया गया था।" वकील पुंधीर ने कहा कि हमने कई कानूनी बिंदुओं की पहचान की है जिन्हें हाई कोर्ट में उठाया जाएगा।
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मुकदमे के दौरान पीड़िता के परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि युवती के परिवार के सदस्य भी फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और वे जल्द ही इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा, "हम निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। अदालत ने कई तथ्यों पर विचार नहीं किया है। आदेश को पढ़ने के बाद हमने मामले से जुड़े कई तथ्यों की पहचान की है, जिन्हें हाई कोर्ट में उजागर किया जाएगा।"