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22 मई 1987 को हाशिमपुरा में क्या हुआ था? 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

22 मई 1987 को 38 लोगों की कथित हत्या से जुड़े हाशिमपुरा नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आठ दोषियों को शुक्रवार को जमानत दे दी।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Dec 06, 2024 14:01 IST, Updated : Dec 06, 2024 14:17 IST
सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : FILE सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली:  हाशिमपुरा नरसंहार मामले के 8 दोषियों को देश की शीर्ष अदालत से जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 1987 में ‘प्रादेशिक आर्म्ड कान्स्टेबुलरी’ (पीएसी) के कर्मियों द्वारा 38 लोगों की कथित हत्या से जुड़े हाशिमपुरा नरसंहार मामले में आठ दोषियों को शुक्रवार को जमानत दे दी। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने चार दोषियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी की इन दलीलों पर गौर किया कि उन्हें बरी करने के निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पलटे जाने के बाद से वे लंबे समय से जेल में रह रहे हैं। 

22 मई 1987 को क्या हुआ था?

हाशिमपुरा नरसंहार 22 मई 1987 को हुआ था, जब पीएसी की 41वीं बटालियन की ‘सी-कंपनी’ के जवानों ने सांप्रदायिक तनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में मेरठ के हाशिमपुरा इलाके से एक ही समुदाय के लगभग 50 पुरुषों को कथित तौर पर घेर लिया था। पीड़ितों को शहर के बाहरी इलाके में ले जाया गया, जहां उन्हें गोली मार दी गई और उनके शवों को एक नहर में फेंक दिया गया। इस घटना में 38 लोगों की मौत हो गई थी।  केवल पांच लोग ही इस भयावह घटना को बयां करने के लिए बचे। 

6 साल से जेल में हैं दोषी

याचिकाकर्ताओं - समी उल्लाह, निरंजन लाल, महेश प्रसाद और जयपाल सिंह - का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता तिवारी ने शुक्रवार को तर्क दिया कि अपीलकर्ता हाईकोर्ट के फैसले के बाद से छह साल से अधिक समय से जेल में हैं। उन्होंने कहा कि अपीलकर्ताओं को पहले अधीनस्थ अदालत द्वारा बरी किया जा चुका है तथा अधीनस्थ अदालत में सुनवाई और अपील प्रक्रिया के दौरान उनका आचरण अच्छा रहा है।  उन्होंने यह भी तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालत द्वारा सोच-विचारकर सुनाए गए बरी करने के फैसले को पलटने का गलत आधार पर निर्णय लिया। अदालत ने दलीलों पर गौर किया और आठ दोषियों की आठ लंबित जमानत याचिकाओं को स्वीकार कर लिया। 

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