योगी के बुलडोजर का नाम सुनकर अपराधियों में जहां खौफ है, वहीं अब योगी का बुलडोजर पुलिस के थाने पर भी चलता दिखाई दे रहा है। दरअसल, यूपी के हरदोई में शाहाबाद थाने की पुलिस ही भू माफिया निकली है जहां अवैध रुप से कब्जा कर बनाये गये थाने के भवन पर ही योगी का बुलडोजर चलाया गया है। कोतवाली शाहाबाद में मुंसिफ न्यायालय की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर बनाये गये कोतवाली भवन का आधा हिस्सा न्यायालय के आदेश पर बुलडोजर से गिरा दिया गया है। वजह है अवैध रुप से कब्जा कर बनाया गया थाने का आधा हिस्सा मुंसिफ कोर्ट की मांग तेज होने के बाद न्यायालय के आदेश के बाद प्रशासन ने बुलडोजर कार्यवाही की है।
थाने का कितना हिस्सा अवैध जमीन पर निकला
ये मामला यूपी के हरदोई के शाहाबाद कोतवाली का है जहां पर एसडीएम, तहसीलदार, अधिशासी अधिकारी और प्रभारी निरीक्षक की मौजूदगी में कोतवाली परिसर में अवैध रूप से बनाए गए महिला हेल्प डेस्क व कोतवाली गेट को बुलडोजर से तोड़ दिया गया। दरअसल कोर्ट के आदेश पर मुंसिफ न्यायालय संचालन की प्रक्रिया तेजी के साथ में प्रारंभ हो गई है। राजस्व विभाग की टीम के द्वारा मुंसिफ न्यायालय की जमीन की पैमाइश कराई गई थी। मुंसिफ न्यायालय की जमीन पर अवैध रुप से थाने का अधिकांश भाग बनाया गया था, जिसमें प्रभारी निरीक्षक का आवास, प्रभारी निरीक्षक का आधा कार्यालय और हेल्प डेस्क के साथ मेन गेट मुंसिफ न्यायालय की जमीन में पाया गया।
थाने के मेन गेट समेत इन हिस्सों पर चला बुलडोजर
पैमाइश के बाद अदालत ने अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। लेकिन मुंसिफ न्यायालय की जमीन से यह निर्माण नहीं हटाया गया था। आखिकार आज अवैध रुप से कब्जाई गई जमीन पर बुलडोजर चल ही गया। कोर्ट के आदेश पर एसडीएम पूनम भास्कर, तहसीलदार नरेंद्र यादव, अधिशासी अधिकारी आर आर अंबेश बुलडोजर लेकर कोतवाली पहुंचे। यहां पर उन्होंने न्यायिक अनुपालन में सबसे पहले शाहाबाद कोतवाली का मेन गेट बुलडोजर से गिराया। उसके बाद मेन गेट के पास ही बनी हेल्प डेस्क की बिल्डिंग भी गिराई। इसके अतिरिक्त प्रभारी निरीक्षक का आधा आवास, हेड मोहरिर का आवास और प्रभारी निरीक्षक का आधा कार्यालय भी मुंसिफ न्यायालय की जमीन पर बना है, जिसे ढहा दिया गया। कोतवाली परिसर में बुलडोजर चलता देख वहां भारी भीड़ एकत्रित हो गई।
मुंसिफ कोर्ट के लिए आवंटित हुई थी जमीन
बता दें कि मुंसिफ न्यायालय शुरू होने की कवायद तेजी के साथ चल रही है। जल्द ही यहां पर मुंसिफ न्यायालय की स्थापना हो जाएगी, जिससे अधिकारियों और वकीलों को काफी राहत मिलेगी। पूरे मामले पर जानकारी देते हुए एडीएम प्रियंका सिंह ने बताया कि तहसील शाहाबाद में न्यायालय को ग्राम सभा द्वारा जमीन दी गई थी। जब उसका निर्माण हुआ और पैमाइश कराई गई तो पता चला कि कोर्ट की जमीन पर थाने का कुछ हिस्सा आ गया था, जिसे न्यायालय के आदेश के बाद खाली कर लिया गया है।
(रिपोर्ट- राम श्रीवास्तव)
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