इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए हमीरपुर के जिलाधिकारी को तल्ख लहजे में फटकार लगाई है। हमीरपुर डीएम द्वारा एक ग्राम प्रधान के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार जब्त करने को लेकर मामले की सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय में हुई। इस दौरान हमीरपुर डीएम चंद्रभूषण त्रिपाठी को कोर्ट ने फटकार लगाई और कहा कि डीएम चंद्रभूषण को सही से ट्रेनिंग दिए जाने की जरूरत है। इस दौरान कोर्ट ने हमीरपुर के जिलाधिकारी द्वारा पारित आदेश रद्द किया और मुख्य सचिव से कहा कि वह डीएम को उचित प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था करें।
डीएम ने ग्राम प्रधान के छीने थे प्रशासनिक अधिकार
दरअसल, हमीरपुर जिले के सिमनौड़ी गांव की महिला प्रधान के करीब डेढ़ महीने पहले डीएम के आदेश पर वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सीज कर लिए गए थे। जिलाधिकारी ने इस मामले में कमेटी गठित करने का भी आदेश दिया था। जिसके खिलाफ महिला प्रधान ने हाईकोर्ट में अपील की थी। इस मामले पर अब हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए मुख्य सचिव को जिलाधिकारी चंद्रभूषण को प्रशिक्षण दिलाने के निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं आदालत ने इस आदेश को सेवा अभिलेखों के साथ रखने का भी आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश की कॉपी मुख्य सचिव को भेजी गई है।
ग्राम प्रधान के पावर सीज वाले आदेश पर रोक
जानकारी है कि पिछले साल अगस्त में सुमेरपुर ब्लाक के सिमनौड़ी गांव की महिला प्रधान रजनी वाल्मीकि के खिलाफ 11 में से 8 सदस्यों ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। शिकायत के बाद 18 फरवरी को हमीरपुर डीएम के आदेश पर ग्राम प्रधान रजनी के पावर सीज कर कमेटी गठित कर दी गई थी। जिसके खिलाफ रजनी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने रजनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी डॉ. चंद्रभूषण को कड़े शब्दों में फटकार लगाई। उन्होंने पावर सीज करने के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि जांच समिति के सदस्यों के रूप में शिकायतकर्ता के नामांकन से जिला मजिस्ट्रेट में न्यायिक अनुशासन की कमी का पता चलता है।
कोर्ट ने कहा- डीएम के आदेश में प्रतिशोध की बू
न्यायमूर्ति ने कहा कि कोर्ट को यह मानने में कोई शक नहीं है कि 18 फरवरी 2023 के आदेश में प्रतिशोध की बू आती है। हाईकोर्ट ने कहा कि इस आदेश की कॉपी मुख्य सचिव को भेजी जाए। जिलाधिकारी को समुचित प्रशिक्षण देना सुनिश्चित करें ताकि भविष्य में वह इस प्रकार का दोष न करें। अदालत ने कहा इस आदेश को डॉ. चंद्रभूषण त्रिपाठी के सेवा अभिलेख में भी रखा जाए।