7 मई को लखनऊ कोर्ट में गैंगस्टर संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। संजीव जीवा को मुख्तार अंसारी का करीबी बताया जाता है। बता दें कि संजीव जीवा की हत्या के बाद अब मुख्तार अंसारी की की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को सतर्क रहने को कहा गया है। साथ ही मुख्तार के बैरक पर 24 घंटे नजर रखी जा रही है। साथ ही अब योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश के कोर्ट परिसरों के मद्देनजर अहम फैसला लिया है। राज्य सरकार के गृह विभाग ने अब कहा है कि कोर्ट परिसर में पेशी के दौरान हाई प्रोफाइल गैंगस्टरों से मिलने वालों पर विशेष नजर रखी जाए और सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी अनजान लोगों को किसी भी अपराधी के आसपास न भटकने दें।
संजीव जीवा हत्याकांड के बाद योगी सरकार का आदेश
गृह विभाग ने इस बाबत बैठक की और नोटिफिकेशन के जरिए बताया कि न्यायालय परिसर में किसी भी व्यक्ति को शस्त्र लेकर प्रवेश नहीं करने दिया जाए। इस आदेश का सख्ती से पालन भी प्रशासन द्वारा किया जाए। गृह विभाग ने बताया कि राज्य के जनपदीय न्यायालयों में 71 सुरक्षा प्रभारी निरीक्षक/उपनिरीक्षक, 22 निरीक्षक, 240 उपनिरीक्षक, 522 मुख्य आरक्षी, 1772 आरक्षी नियुक्त हैं। प्रमुख सचिव गृह ने निर्देशित किया कि न्यायालय परिसर में लगे आधुनिक उपकरणों की नियमित रूप से जांच की जाए। अगर उपकर खराब पाए जाते हैं तो उनका फौरन बदलवाया या ठीक करवाया जाए।
कौन है संजीव जीवा
बता दें कि 7 मई को यूपी की लखनऊ कचहरी में हुए शूटआउट में यूपी के पूर्व ऊर्जा मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता रहे ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड के आरोपी संजीव जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बता दें कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी वही नेता थे, जिन्होंने यूपी की मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती को गेस्टहाउस कांड में बचाया था। कहा जाता है कि ब्रह्मदत्त द्विवेदी का यूपी में इतना प्रभाव था कि अगर उनकी हत्या नहीं हुई होती तो यूपी के मुख्यमंत्री वही बनते। ब्रह्मदत्त द्विवेदी यूपी के फर्रुखाबाद जिले से राजनीति के शिखर पर पहुंचे थे और वर्तमान में फर्रुखाबाद से उन्हीं के बेटे मेजर सुनील दत्त द्विवेदी विधायक हैं।