Thursday, January 09, 2025
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सितंबर महीने में गुरु-शिष्य के रिश्ते की मिसाल बनती है गोरक्षपीठ, CM योगी हैं इसके पीठाधीश्वर

इस साल 26 सितंबर से 3 अक्टूबर तक गोरक्षपीठ साप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह का आयोजन होगा। कोरोना महामारी में भी सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए आयोजन हुआ था, यह इसके अहमियत का प्रमाण है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Sep 20, 2023 14:07 IST, Updated : Sep 20, 2023 14:07 IST
महंत अवेद्यनाथ और...
Image Source : FILE PHOTO महंत अवेद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ

गोरखपुर: यूपी के गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के लिए सितंबर का महीना खास होता है। इस महीने पीठ में साप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह आयोजित होता है। ऋषि और सनातन परंपरा में गुरु-शिष्य के जिस रिश्ते का जिक्र किया जाता है, उसकी जीवंत मिसाल दिखती है। सितंबर में ही ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पड़ती है। अपने गुरुओं और उनके सरोकारों को याद करने, उनसे प्रेरणा लेने, उनको आगे बढ़ाने का संकल्प लेने के लिए करीब आधी सदी से आयोजन का सिलसिला जारी है। इस साल 26 सितंबर से 3 अक्टूबर तक आयोजन होगा।

उद्घाटन और समापन समारोह में शामिल होंगे CM योगी

कोरोना महामारी में भी सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए आयोजन हुआ था, यह इसके अहमियत का प्रमाण है। मंदिर से मिली जानकारी के अनुसार आयोजन के उद्घाटन और समापन समारोह में गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहेंगे। इसमें श्रीगोरक्षपीठ, गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर की गौरवशाली धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक परंपरा को नई दिशा देने वाले युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के साथ ही समाज एवं राष्ट्र की ज्वलंत समस्याओं से संबंधित विभिन्न विषयों पर देश के नामचीन विशेषज्ञ, धर्माचार्य और संत समाज के लोग अपनी राय रखेंगे।

श्रीभागवत पुराण कथा महायज्ञ का भी आयोजन
राष्ट्रीय महत्व के जिन समसामयिक विषयों को चुना गया है, उनमें 'एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना', 'पर्यावरण रक्षा: भविष्य की सुरक्षा', 'आयुर्वेद: सम्पूर्ण आरोग्यता की गारंटी', 'संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति', 'भारतीय संस्कृति एवं गोसेवा' और 'महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ के कृतित्व और व्यक्तित्व पर केंद्रित श्रद्धांजलि सभा' शामिल हैं। साथ ही श्रीभागवत पुराण कथा महायज्ञ का भी आयोजन होगा। समापन के दिन पीठ की सहभोज परंपरा के क्रम में एक बड़े भंडारे का भी आयोजन होगा। संयोग से मकर संक्रांति के दिन आयोजित खिचड़ी का सहभोज ही पीठ का सबसे बड़ा आयोजन भी है।

(इनपुट- IANS)

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