उत्तर प्रदेश: हर इंसान अपने धन को जल्दी से जल्दी दोगुना करना चाहता है। चाहे इसके लिए उन्हें गलत रास्ता ही क्यों ना चुनना पड़े। इसके चलते कभी-कभी उन्हें बड़ा खामियाजा भी उठाना पड़ता है। ऐसा ही मामला गाजीपुर से सामने आया है। यहां पर ग्राम पंचायत अधिकारी ने अपने धन को जल्दी दोगुना करने के चक्कर में घोड़ा रेस पर करीब 12 लाख रुपये जालसाजों के बहकावे में आकर गंवा दिए। जब उन्हें समझ में आया कि उनके साथ फ्रॉड हुआ है, तब उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस से की। नंदगंज पुलिस टीम ने कार्रवाई करते हुए अंतर्जनपदीय ठग गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार ठगों के कब्जे से ठगी के एक लाख 82 हजार रुपये नगद और 10 फर्जी आधार कार्ड बरामद किए गए।
पत्नी के इलाज के लिए रखे थे पैसे
पीड़ित ग्राम पंचायत अधिकारी शिवराज यादव देवकली ब्लॉक में कार्यरत हैं। अपनी पत्नी के इलाज के लिए 12 लाख रुपये रखे थे। इस बात की जानकारी ठगों को किसी तरह मिल गई। ठगों ने फिर उनसे संपर्क कर पैसे को दोगुना करने का लालच दिया। ग्राम पंचायत अधिकारी को बनारस के होटल में ले गए, जहां घोड़ा रेस में 20 लाख की जीत दिलाई और उसके बाद 30 लाख रुपये की हार हो गई। इसके बाद शिवराज को लगा कि वह ठगे गए, तो उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी दी।
महीने में दोगुना पैसे करने के नाम पर ठगी
पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने बताया कि जालसाजी का पीड़ित शिवराज यादव ने पुलिस को सूचना दी कि मेरे साथ जालसाजी कर मेरा 12 लाख रुपये एक महीने में दोगुना कर देने के नाम पर ठगी करने वाले आरोपी दोबारा किसी नई घटना को अंजाम देने के लिए रामपुर बंतरा ओवरब्रिज के नीचे जुटे हैं और मुझे भी मेरा रुपया देने के लिए बुला रहे हैं। इस सूचना पर बतरा ओवरब्रिज के नीचे से पुलिस ने चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। मौके से अंधेरे का फायदा उठाकर एक व्यक्ति फरार हो गया।
आरोपियों के पास से फर्जी आधार कार्ड बरामद
पकड़े गए व्यक्तियों के कब्जे से ठगी किए एक लाख 82 हजार रुपये व ठगी में इस्तेमाल करने वाले फर्जी 10 आधार कार्ड बरामद किए गए। गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया गया कि उनका एक संगठित गिरोह है, जो जनपद- गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, आजमगढ़ व जौनपुर में फैला हुआ है। इसके लिए वह किसी व्यक्ति को पहले पैसा दोगुना करने के नाम पर ले जाते हैं, फिर हमलोगों में से कोई व्यक्ति कपड़े का व्यवसायी, कोई मैनेजर, कोई ज्योतिषी (पंडित) बन जाता है और उस व्यक्ति को पहले कुछ रुपये जिताए जाते हैं। फिर एक मोटी रकम साजिश के तहत हरा दिया जाता है और हमलोग उसका सारा पैसा जीत लेते हैं। आरोपियों ने बताया कि वे अपने असली नाम का प्रयोग कहीं नहीं करते। सबका नाम, पता व आधार कार्ड फर्जी होता है, जिससे दोबारा उस व्यक्ति की पकड़ में नहीं आते। गिरोह के सभी सदस्यों द्वारा पैसों को आपस में बांट लिया जाता है। गिरफ्तार जालसाजों में आजमगढ़ निवासी रविंद्र राम उर्फ बबलू, राणा प्रताप सिंह, सत्य नारायण श्रीवास्तव और वाराणसी निवासी अजय राम शामिल हैं।
- अनिल कुमार की रिपोर्ट