लखनऊ: यूपी में नकल माफियाओं के साथ-साथ परीक्षा में किसी भी तरह से धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ प्रशासन सख्त रुख अपना रहा है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश की एक केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) अदालत ने पांच आरोपियों को सजा सुनाई है। दरअसल ये फैसला राज्य में बैंक लिपिक भर्ती परीक्षा के दौरान किसी और की जगह पेपर देने से को लेकर सुनाया गया है। ये मामला साल 2014 का है, जिसमें सीबीआई कोर्ट ने गुरुवार को सजा सुनाई। कोर्ट ने छह आरोपियों में से पांच को तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
एक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट
सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि अदालत में पेश नहीं होने वाले छठे आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया है और सजा सुनाने के लिए 21 मार्च की तारीख तय की गई है। गाजियाबाद स्थित सीबीआई अदालत के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट ने छह आरोपियों को दोषी ठहराया है, जिनमें बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) द्वारा 2014 में आयोजित परीक्षा में किसी अन्य के जगह पेपर देने वाले नवीन तंवर और सावन कुमार, अभ्यर्थी अमित सिंह तथा अजय पाल सिंह और बिचौलिये सुग्रीव सिंह गुर्जर तथा हनुमत सिंह गुर्जर शामिल हैं।
परीक्षा मामलों पर DGP सख्त
वहीं परीक्षा में गड़बड़ी करने के मामले में यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने इंडिया टीवी से खास बातचीत में कहा था प्रशासन जल्द ही पेपर गैंग मामले में पर्दाफाश करेगा। नकल माफियाओं को लेकर डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा था कि राज्य में नकल माफियाओं का पूरा साम्राज्य चलता है। पेपर गैंग मामले का जल्दी ही हम पूरा पर्दाफाश करेंगे। कई राज्यों के गैंग इसमें शामिल हैं, जितने भी माफिया हैं उनपर पर कठोर कारवाई करेंगे। साथ ही गलत तरह से अर्जित संपत्ति जब्त भी करेंगे,अवैध प्रॉपर्टी ध्वस्त भी करेंगे।
(इनपुट- भाषा)
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