लखनऊः उत्तर प्रदेश में जब मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी और सरकार का उसे समर्थन हासिल था उस समय 2004 में माफिया पर आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) लगाने वाले शैलेंद्र सिंह ने उसके आतंक की दास्ता इंडिया टीवी से बयां की है। इंडिया टीवी से बातचीत में पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि वह कृष्णानंद राय को किसी भी हालत में जान से मार देना चाहता था। इसलिए वह लाइट मशीन गन (एलएमजी) हासिल करना चाहता था।
खिसक रही थी मुख्तार की राजनीतिक जमीन
दरअसल कृष्णानंद राय की कार बुलेट प्रूफ थी। एलएमजी की मारक क्षमता अधिक होने की वजह से वह इसे हर हाल में हासिल करना चाह रहा था। क्योंकि उसे लग रहा था कि कृष्णानंद राय को मारने के बाद पूरा साम्राज्य पर उसका कब्जा हो जाएगा। उसे गाजीपुर में पॉलिटिकल चुनौती भी मिलने लगी थी। उसे उसकी राजनीतिक जमीन खिसकते नजर आ रही थी।
सरकार और पुलिस अधिकारियों के जरिए डराया
शैलेंद्र सिंह ने बताया कि मुख्तार अंसारी अपने ऊपर कार्रवाई से परेशान था। पहले तो वह उन्हें अधिकारियों के माध्यम से समझाने की कोशिश की थी। फिर सरकार के माध्यम से एक्शन न लेने के लिए संदेश दिलवाया। सीधे तौर पर वह उन्हें इसलिए कुछ नहीं कह पा रहा था क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया था। विपक्षी दल तत्कालीन सरकार को विधानसभा में घेर रहे थे। उसे लगता था कि अगर फोन टैप हो गया तो उसकी मुश्किलें और बढ़ सकती है। उसे डर था कि अगर बातचीत टैप हो गया तो बात ऊपर तक चली जाएगी और सरकार भी गिर सकती थी।
मेरे जान लेने की भी कोशिश की थीः शैलेंद्र सिंह
पूर्व डीएसपी ने बताया कि मुख्तार अंसारी और उससे जुड़े लोगों ने हर वो कोशिश की जिससे वो डर जाएं। मेरे और हमारे परिवार का पीछा किया जाने लगा। कई बार एक्सीडेंट करने की भी कोशिश हुई। जब हमने उसके घर से रिकवरी की तो कुछ दिन बाद मऊ में दंगा हुआ। वह जेल से बाहर था। मुख्तार का इतना जलवा था कि वह खुली जीप में बाहर घूम रहा था। मीडिया के माध्यम से इसकी फुटेज भी सामने आई थी।
एफआईआर रद्द करने का बनाया दवाब
शैलेंद्र सिंह ने कहा कि बताया कि वे सरकार की बात नहीं माने तो उन्हें इस्तीफा देने का दवाब बनाया गया। उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को वापस लेने के लिए प्रेशर बनाया जाने लगा। मुख्तार अंसारी ने तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह पर दवाब बनाया था। तत्कालीन सरकार की तरफ से उसके खिलाफ मुकदमें वापस लेने को कहा गया। मैंने एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था। केस खत्म करने की बजाया मैंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया।