बसपा के पूर्व एमएलसी हाजी मोहम्मद इकबाल की ग्लोकल यूनिवर्सिटी ईडी ने जब्त कर ली है। अवैध खनन मामलों में ईडी ने यूपी के सहारनपुर के पूर्व एमएलसी के खिलाफ यह कार्रवाई की है। ईडी के जोनल कार्यालय ने शुक्रवार को अवैध खनन के मामले में मोहम्मद इकबाल की यूनिवर्सिटी की 121 एकड़ भूमि और सभी भवनों को जब्त करने की कार्रवाई की। हाजी इकबाल बीते कई महीनों से फरार होकर दुबई में पनाह लिए है। उसके खिलाफ देश भर की करीब एक दर्जन से ज्यादा एजेंसियां जांच कर रही हैं। पूर्व एमएलसी के चार बेटे और छोटा भाई पहले ही जेल में हैं।
ईडी के मुताबिक ग्लोकल यूनिवर्सिटी को अब्दुल वहीद एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए संचालित किया जा रहा था। इसका नियंत्रण, प्रबंधन और संचालन मोहम्मद इकबाल और उसके परिवार के सदस्य करते हैं। ईडी ने करीब 10 वर्ष पूर्व मोहम्मद इकबाल के खिलाफ सीबीआई की खनन घोटाले की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज करते हुए जांच शुरू की थी। यह मुकदमा सहारनपुर में खनन के पट्टों में हुई धांधली से जुड़ा था।
अवैध खनन में शामिल था इकबाल
इस मामले में लीज होल्डर महमूद अली, दिलशाद, मोहम्मद इनाम, महबूब आलम (अब मृत), नसीम अहमद, अमित जैन, विकास अग्रवाल, मोहम्मद इकबाल का बेटा मोहम्मद वाजिद, मुकेश जैन, पुनीत कुमार जैन और कुछ अज्ञात सरकारी अधिकारियों को नामजद किया गया था। ईडी की जांच से पता चला कि सभी खनन फर्मों का स्वामित्व और संचालन मोहम्मद इकबाल के पास था। इकबाल और उसके करीबियों की कंपनियां और फर्में सहारनपुर और आस-पास के इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन में शामिल थीं।
500 करोड़ के अवैध निवेश से बनी 4440 करोड़ की यूनिवर्सिटी
इसके जरिए मोहम्मद इकबाल के साथ करोड़ों रुपये का लेन-देन किया गया, जबकि इन कंपनियों से उसका कोई कारोबारी संबंध नहीं था। इतना ही नहीं, मोहम्मद इकबाल ने इस अवैध कमाई को आयकर विवरण में भी छिपा लिया था। बाद में मोहम्मद इकबाल ने सारी धनराशि अब्दुल वहीद एजुकेशनल ट्रस्ट के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी। अधिकतर रकम को असुरक्षित कर्ज और दान के रूप में दिया जाना दर्शाया गया था। बाद में ट्रस्ट ने इस धनराशि का उपयोग यूनिवर्सिटी की भूमि खरीदने और भवनों के निर्माण के लिए किया। ईडी की जांच में सामने आया है कि इस तरह करीब 500 करोड़ रुपये ट्रस्ट के जरिए ग्लोकल यूनिवर्सिटी में निवेश किए गये। वर्तमान में यूनिवर्सिटी की भूमि और भवनों की बाजार कीमत 4440 करोड़ रुपये है।
(सहारनपुर से खालिद हसन की रिपोर्ट)