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यूपी में हलाल सर्टिफिकेट पर बैन वापस करने की मांग, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जारी किया बयान

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बयान में कहा कि हलाल सर्टिफिकेट दिए जाने पर पाबंदी मजहबी आजादी छीनने की कोशिश और महजबी मामलों में दखलंदाजी है।

Reported By : Shoaib Raza Edited By : Niraj Kumar Published on: November 27, 2023 0:02 IST
Halal- India TV Hindi
Image Source : फाइल प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:  यूपी में हलाल सर्टिफिकेट पर पाबंदी मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से बयान जारी किया गया है। इस बयान में कहा गया है कि हलाल सर्टिफिकेट दिए जाने पर पाबंदी मजहबी आजादी छीनने की कोशिश और महजबी मामलों में दखलंदाजी है। हलाल का मामला सिर्फ गोश्त (मीट) तक सीमित नही है बल्कि और भी कई मामलों में मुसलमानो को इसका ख्याल रखना पड़ता है। हलाल सर्टिफिकेट पर पाबंदी लगाकर योगी सरकार  भारतीय कारोबार को प्रभावित करना चाहती है। इससे सिर्फ कंपनियों को ही नुकसान नहीं होगा बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था का भी नुकसान होगा। 

देश की भलाई और धार्मिक आजादी के बारे में सोचे सरकार

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया कि सरकार को चाहिए कि वो हिंदू- मुस्लिम एजेंडे से ऊपर उठकर देश की भलाई और धार्मिक आजादी को आगे को आगे रखे। बोर्ड ने मांग रखी कि योगी सरकार फौरन अपने आदेश को वापस ले। बता दें कि यूपी  सरकार ने अवैध रूप से 'हलाल प्रमाणपत्र' जारी करने के खिलाफ निर्णायक कदम उठाते हुए 18 नवंबर को एक आदेश जारी कर हलाल सर्टिफिकेट वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया। इससे पहले धर्म विशेष के ग्राहकों को हलाल प्रमाण पत्र उपलब्ध कराकर बिक्री बढ़ाने के लिए लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ कथित रूप से खिलवाड़ करने को लेकर एक कंपनी और कुछ अन्य संगठनों के खिलाफ पुलिस ने यहां मामला दर्ज किया। 

लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज हुआ था केस

लखनऊ के ऐशबाग में मोतीझील कॉलोनी के निवासी शैलेंद्र कुमार शर्मा की शिकायत पर  हजरतगंज थाने में यह मामला दर्ज किया गया था। बयान के अनुसार, यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र का अपराध), 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्यता को बढ़ावा देने), 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करने के इरादे से शब्द आदि कहना), 384 (फिरौती), 420 (धोखाधड़ी), 471 (फर्जी दस्तावेज को असली जैसा उपयोग करना) और 505 (लोगों को बेवकूफ बनाने वाले बयान) के तहत दर्ज किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बयान में कहा कि चेन्नई स्थित हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली स्थित जमीयत उलमा हिन्द हलाल ट्रस्ट, मुंबई स्थित हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया, मुंबई स्थित जमीयत उलमा महाराष्ट्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्राथमिकी के हवाले से कहा गया कि ये कंपनियां और संगठन न केवल वित्तीय लाभ के लिए बल्कि सामाजिक वैमनस्यता बढ़ाते हुए फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर रहे हैं और हलाल प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं। इस बीच, जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट ने आरोपों को "निराधार" बताया। उसने एक बयान में कहा कि वह "इस तरह की गलत सूचना का मुकाबला करने के लिए आवश्यक कानूनी उपाय करेगा।'' 

मजहब की आड़ लेकर  वर्ग विशेष में अनर्गल प्रचार-प्रसार

शिकायतकर्ता का आरोप है कि मजहब की आड़ लेकर एक वर्ग विशेष में अनर्गल प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है कि ऐसे उत्पाद का प्रयोग न करें जिसे इनकी कंपनी द्वारा हलाल प्रमाणपत्र न दिया गया हो। परिणाम स्वरुप दूसरे समुदाय विशेष के व्यावसायिक हितों का नुकसान हो रहा है। इस प्रकार आम नागरिकों के लिये उपयोग होने वाली वस्तुओं पर भी हलाल प्रमाण पत्र जारी कर अनुचित आर्थिक लाभ कमाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। शिकायतकर्ता ने उक्त लोगों द्वारा करोड़ों रुपये का अनुचित लाभ भी कमा कर उससे आतंकवादी संगठनों एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की ‘फन्डिंग’ किये जाने की आशंका भी जताई है।

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