उत्तर प्रदेश में निवेश को बढ़ावा मिले और साथ ही आर्थिक गतिविधियां भी मजबूत हों, इसके लिए योगी सरकार ने एक फैसला लिया है। इस फैसले के बाद अब जिलाधिकारी और मंडलायुक्त की जिम्मेदारी बढ़ने वाली है। दरअसल अब DM और कमिश्नर को अपने कार्यक्षेत्र में हुए निवेश की प्रगति और साथ ही उसके लिए उनकी तरफ से किए गए प्रयासों की एक रिपोर्ट बनानी होगी। योगी सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि राज्य में विकास हो सके। इसके संबंध में मुख्य सचिव ने पूरी जानकारी दी है। आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
DM और कमिश्नर बनाएंगे वार्षिक रिपोर्ट
आपको बता दें कि अब हर साल DM और कमिश्नर एक वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट बनाएंगे। इस रिपोर्ट में वो अपने कार्यक्षेत्र में हुए निवेश की प्रगति और उसके लिए उनकी तरफ से किए गए प्रयासों की जानकारी देंगे। इसके आधार पर उनके परफॉर्मेंस का मुल्यांकन कर ग्रेडिंग दी जाएगी। दरअसल ऐसा इसलिए किया गया है ताकि प्रदेश में रोजगार और विकास के नए मौके सृजित हों। आपको बता दें कि ऐसा कोई कदम उठाने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है।
मुख्य सचिव ने दी यह जानकारी
इस फैसले के संबंध में मुख्य सचिव ने कुछ अहम जानकारियां दी हैं। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया, 'अब DM और कमिश्नर को एक रिपोर्ट बनानी होगी जिसमें वो अपने क्षेत्र में निवेश लाने के प्रयासों की जानकारी देनी होगी। इससे निवेशकों की सुरक्षा, सुविधा के लिए किए गए प्रयासों का मुल्यांकन किया जाएगा। इससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा।' उन्होंने आगे बताया कि, उद्यमियों के लिए समयबद्ध तरीके से लैंड अलॉटमेंट, लैंड सब्सिडी, लैंड यूज चेंज, लैंड क्लियरेंस समेत लैंड बैंक को तैयार कर उसकी मॉनीटरिंग और रेगुलर अपडेशन किये जाने का भी मूल्यांकन किया जाएगा।
बेहतर प्रदर्शन पर मिलेगा विशेष सम्मान
मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि, जिन जिलों के DM अच्छा प्रदर्शन करके अधिक निवेश लाएंगे उन्हें उच्च ग्रेडिंग और विशेष सम्मान दिया जाएगा। ऐसा करने से अधिकारियों के बीच कम्पटीशन बढ़ेगा और निवेश को बढ़ाने के लिए बेहतर प्रयास होंगे। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने आगे बताया, यह नई व्यवस्था अगले 2-3 सप्ताह में लागू हो जाएगा जिससे अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ेगी। इसके बाद प्रदेश में निवेश बढ़ेगा और आर्थिक गतिविधियों में विकास के साथ ही रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे।
एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रियल सेक्टर में सुधार के प्रयास
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने एग्रीकल्चर और इंडस्ट्रियल सेक्टर में विकास के प्रयासों को लेकर भी बात की। उन्होंने बताया कि, 'राज्य का क्रेडिट डिपॉजिट (CD) रेशियो 2017 में 47 प्रतिशत था जिसने 2023-24 की वित्तिय वर्ष में काफी वृद्धि की और अब यह आँकड़ा 60.32% तक पहुंच गया है। योगी सरकार वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंत तक 65 प्रतिशत के सीडी रेशियो के लक्ष्य को तय करके आगे बढ़ रही है। यह विकसित रेशियो यह बताता है कि राज्य में आर्थिक स्थिरता और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण है। मुख्य सचिव ने इंडस्ट्रियल सेक्टर में भी सुधार की बात की। उन्होंने कहा, इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे उद्योगों को प्रदेश में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
कम CD रेशियो वाले जिलों पर होगा विशेष ध्यान
जिन जिलों में CD रेशियो कम होगा उन जिलों में सरकार विशेष ध्यान देने वाली है। मुख्य सचिव के मुताबिक संभल, अमरोहा, बदायूं, रामपुर, कासगंज, एटा और मुरादाबाद का सीडी रेशियो सर्वाधिक है और उन्नाव, बलरामपुर, श्रावस्ती जैसे जिलों का सीडी रेशियो कम है। ऐसे जिलों में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और सीडी रेशियो सुधारने के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएंगी। उन्होंने आगे बताया कि DM और कमिश्नर को हर साल अप्रैल में उनके जिले का CD रेशियो बताया जाएगा, ताकि वे निवेश को बढ़ाने के प्रयासों को और बेहतर तरीके से अंजाम दे सकें।
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