उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई से कई चकबंदी अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिरी है। भ्रष्टाचार में शामिल होने और अपने कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है। इसी क्रम में चकबंदी विभाग ने दो जिलों के चकबंदी अधिकारियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया है। वहीं एक दूसरे जिले के भी कई चकबंदी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं।
मिर्जापुर और बांदा के अधिकारी निलंबित
अपने काम में अनियमितता बरतने और साथ ही पद का दूरुपयोग करने के आरोप में मिर्जापुर और बांदा के चकबंदी अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ अब विभागीय जांच भी बैठेगी जिसके आदेश राज्य के चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन ने दे दिए हैं। इतना ही नहीं मैनपुरी के भी कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं और उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है।
अधिकारियों पर क्यों हुई कार्रवाई?
जानकारी के मुताबिक बांदा में वित्तीय वर्ष 2023-24 में धारा 27 व 52 के अंतर्गत लक्षित ग्राम उमरेंहडा का कार्य पूरा ना करने, ग्राम बहिंगा में सहायक चकबन्दी अधिकारी स्तर पर हुई गलतियों का समाधान कर काम को आगे बढ़ाने के बजाय गांव को सहायक चकबन्दी अधिकारी स्तर पर प्रत्यावर्तित करने, CCMS पोर्टल के जरिए न्यायालय न चलाने आदि कई अनियमितताओं के लिये चकबंदी अधिकारी राणा प्रताप को निलम्बित करते हुए उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही के आदेश दिये गये हैं।
इसी तरह मिर्जापुर के चकबंदी अधिकारी राजेन्द्र को भी अपने काम में लापरवाही करने के कारण निलंबित किया गया है। उनपर आरोप है कि उन्होंने एक मृतक की जमीन की जांच किए बिना चार बार अलग-अलग आदेश देकर अपने पद का दुरुपयोग किया। वहीं मैनपुरी में चकबंदी अधिकारी मोहम्मद साजिद, चकबंदी कर्ता काली चरण और रविकांत, चकबंदी लेखपाल अमित कुमार और अजय कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है। इसके अलावा मैनपुरी के ही उप संचालक चकबंदी/एडीएम एफआर रामजी मिश्र को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है। इन सभी के खिलाफ कार्य में लापरवाही का आरोप है।
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