CM Yogi Adityanath 51th Birthday: देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 51 साल के हो गए हैं। इस मौके पर वे गोरखनाथ मंदिर में रुद्राभिषेक और पेड़ लगाकर पर्यावरण दिवस पर इस दिन को खास बना रहे हैं। 5 जून 1972 को जन्मे योगी आदित्यनाथ का जीवन उतार चढ़ाव से भरा रहा है। पहले संन्यास लिया। फिर जनता की सेवा करने के लिए सियासत का दामन थामा। चाहे धर्म की राह हो या सियासत, योगी आदित्यनाथ ने हमेशा जनता के हित को ही सबसे ऊपर रखा। सूबे में माफियाराज का खात्मा और यूपी की जनता को विकास की योजनाओं से सफलता की राह दिखाना, इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए योगी आदित्यनाथ जी जान से जुटे हैं। आज वे 51 वर्ष के हो गए। इन वर्षों की यात्रा में संघर्ष भी आए और सफलता भी आई। हर परिस्थितियों में समान भाव रखने वाले योगी 'बाबा' के अनुभव का ही नतीजा है कि कभी माफियाराज और दंगे का पर्याय बने यूपी को ऐसे लोगों से मुक्ति दिलाने और भयमुक्त वातावरण बनाने में उनका कोई सानी नहीं रहा है। जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें और पड़ाव।
1994 में महंत अवैद्यानाथ से लिया आशीर्वाद और ले लिया संन्यास
उत्तराखंड के पंचुर गांव 5 जून 1972 का वो दिन था, जब आनंद सिंह बिष्ट के घर एक बच्चे का जन्म हुआ। माता पिता ने नाम रखा अजय सिंह बिष्ट, जो बाद में आगे चलकर योगी आदित्यनाथ बने। अपने माता-पिता के सात बच्चों में योगी शुरू से ही सबसे तेज तर्रार थे। 1992 में जब राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन हुआ, तो योगी इससे काफी प्रभावित हुए। तब उन्हें गोरखपुर में महंत और राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन के अगुवा महंत अवैद्यनाथ का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और 1994 में योगी सार्वजनिक जीवन त्यागा और संन्यासी हो गए। गुरु से दीक्षा ग्रहण करने के बाद वे अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गए। 12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद योगी गोरक्षपीठ के महंत घोषित किए गए।
1998 में सिर्फ 26 साल की उम्र में पहली बार बने लोकसभा सांसद
1994 में वे संन्यासी बने, लेकिन आज मनमानस की सेवा करने का ध्येय मन में बलवती था। इसके लिए उन्होंने सियासत की राह को चुना और 1998 में वे मात्र 26 साल की आयु में पहली बार लोकसभा सांसद बन गए। तब से वे गोरखपुर क्षेत्र का लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जब मोदी सरकार सत्ता में आई, तब 2014 में योगी आदित्यनाथ ने भी चुनाव जीता और पांचवी बार लोकसभा सदस्य बने। दरअसल, योगी के गुरु अवैद्यनाथ ने सन 1998 में राजनीति से संन्यास लिया था और योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। जहां से उनके गुरु ने छोड़ा, वहीं से योगी ने राजनीति की राह पर चलना शुरू किया।
सीएम रहते हुए हर मजहब और तबके का दिल जीता
सीएम योगी ने हिंदू युवा वाहिनी की स्थापना की। इसका उद्देश्य हिंदु युवाओं में सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का वातावरण बने। उद्देश्य अच्छा और साफ था, लेकनि उन पर हिंदुवादी छवि होने का भी आरोप लगा। लेकिन जब वे सूबे के मुख्यमंत्री बने, तो अपने काम और इरादों से जता दिया कि उनके लिए प्रजा प्रजा में कोई भेद नहीं है। उन्होंने अपने काम से हर मजहब और तबके का दिल जीता। यही कारण रहा कि जनता का विश्वास उन पर बना और वे 2022 में दोबारा प्रचंड बहुमत के साथ जीतकर सत्ता में आए। वे अपने दूसरे कार्यकाल में भी जनता की खुशहाली और विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। माफियाओं और असामाजिक तत्वों को दंड देकर आम जनजीवन में भयमुक्त वातावरण बनाने वाले सीएम योगी आज जनता का पूर्ण विश्वास जीतने में सफल रहे हैं।
योगी के 'मैजिक' के आगे फेल हुए कई मिथक, टूटी परंपराएं
सीएम योगी जब पहली बार सीएम बने थे, तो उन्होंने कई परंपराओं और मिथकों को तोड़ डाला। सबसे पहला मिथक तो यह कि जो भी सीएम नोएडा जाता है, उसकी कुर्सी चली जाती है। सीएम योगी ने 37 साल पुराना यह मिथक भी सीएम बनने के बाद तोड़ डाला। एक परंपरा यह भी थी कि जो एक बार यूपी का सीएम बन जाता है, वो दोबारा नहीं बनता। लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2022 का विधानसभा दोबारा प्रचंड बहुमत से जीता और फिर सूबे के मुखिया बने।
ऐसा रहा राजनीति का सफर
सीएम योगी आदित्यनाथ ने 29 जनवरी 2015 से 21 सितम्बर 2017 तक उन्होंने सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया। फिर 2014 में वे 16 वीं लोकसभा (5 वें कार्यकाल) के लिए चुने गए। इस बार उन्होंने समाजवादी पार्टी की राजमती निषाद को हराया। 2009 में उन्हें 15 वीं लोकसभा (4 वें कार्यकाल) के लिए फिर से चुना गया। 31 अगस्त 2009 को वे परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्थायी समिति के सदस्य और गृह मंत्रालय के सलाहकार समिति के सदस्य बने।
2022 के विधानसभा चुनाव में 1 लाख वोट से जीते योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहरी क्षेत्र से उन्होंने 1 लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। इससे पहले 2017 उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया पहली बार उत्तर प्रदेश की कमान संभाली।
'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' का मंत्र अपनाया
पिछले साल यानी 2022 में वो सीएम बनने के बाद राज्य में सुदृढ़ कानून और शासन-प्रशासन व्यवस्था के साथ वो यूपी की जनता का जीवन आसान और खुशहाल बनाने के प्रयास में सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं। इस राह में आने वाली बाधाओं को उचित तरीके से निपटारा करके वे अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। पीएम मोदी के विश्वास पर खरे उतरते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' इसी संकल्प के साथ वे लगातार आगे बढ़ रहे हैं।