अयोध्या: राम मंदिर निर्माण में अब महाराष्ट्र से लकड़ी लाने पर विचार हो रहा है। कुछ दिन पहले राम मंदिर निर्माण की एक टीम चंद्रपुर गई थी। महाराष्ट्र के वन विभाग और राम मंदिर निर्माण टीम की दो बैठक भी हो चुकी हैं। वन विभाग से आखरी दौर की बातचीत के लिए राम मंदिर निर्माण की टीम अगले 2-3 दिन में महाराष्ट्र जाने वाली है। चंद्रपुर के जंगलों में मौजूद टीकवुड को हाई क्वालिटी की लकड़ी माना जाता है और इसका जीवन हजारों वर्षों का होता है।
महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने इंडिया टीवी से खास बातचीत की है। उन्होंने बताया, 'मंदिर में लगने वाले टीक वुड के लिए हमसे संपर्क किया गया है। हम खुशी से टीक वुड उनको डिस्काउंट में देने वाले हैं। चर्चा चल रही है, वो यहां आकर टीकवुड देखेंगे। चर्चा पूरी होने पर हम पूजा करके टीक वुड वहां भेजेंगे।'
उन्होंने कहा, 'यहां के टीक वुड को पुरे एशिया में सबसे अच्छा माना जाता है। इस टीक वुड को हजारों वर्षों तक दीमक नहीं लगती है। भगवान राम का महाराष्ट्र से संबंध है। रामटेक हो या नासिक की पंचवटी हो, भगवान राम की दादी इंदुमती विदर्भ से थीं।'
उन्होंने कहा, 'कितना क्युबीक मीटर लगेगा वो बताएंगे। जितनी डिमांड होगी उतनी लकड़ी देंगे। जैसे गंगा को पवित्र माना जाता है, उसी तरह चंद्रपुर गढ़चिरोली में पाए जाने वाला टीक वुड भी पवित्र माना जाता है। यहां के जंगलों में आप सोच भी नहीं सकते, उतने बड़े टीक वुड के पेड़ हैं। दो-तीन दिन में टीम यहां आएगी, क्वालिटी चेक करके वो बताएंगे कि कितनी लकड़ी चाहिए। राम नवमी के पहले इस लकड़ी को वहां भेजने की योजना है।'
मुनगंटीवार के मुताबिक, 'अंतिम चर्चा पूरी होने पर जब लकड़ियों को अयोध्या भेजा जाएगा, तब भव्य पूजा का आयोजन किया जाएगा। हजारों लोग उस पूजा में शामिल होंगे। इस टीक वुड से मंदिर के दरवाजे और चौखट बाजू बनाने की योजना है।'