उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि हिंदुस्तान की राजनीति में स्थायित्व कैसे होना चाहिए और स्थिर सरकारें देश के लिए किस प्रकार उपयोगी होती हैं, इसकी शुरुआत भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1998 से की। वही परंपरा आज भी चल रही है। सीएम योगी ने लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयन्ती की पूर्व सन्ध्या पर आयोजित ‘अटल गीत गंगा’ कार्यक्रम में ये बात कही।
"अटल जी ने राजनीति में मूल्यों व आदर्शों की स्थापना की"
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा, ‘‘वाजपेयी राजनीति के ऐसे अजातशत्रु थे, जिनमें सम और विषम दोनों परिस्थितियों में कार्य करने की अद्भुत क्षमता थी। उनका व्यक्तित्व ऐसा था, जो घरेलू और वैश्विक मोर्चे पर सफलतापूर्वक अपनी राह बनाता गया। उन्होंने राजनीति में मूल्यों व आदर्शों की स्थापना की।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत की राजनीति में स्थायित्व कैसे होना चाहिए और स्थिर सरकारें देश के लिए किस प्रकार उपयोगी होती हैं, इसकी शुरुआत अटल जी ने साल 1998 से की। वही परंपरा आज भी चल रही है। मूल्यों और आदर्शों के साथ प्रतिबद्धता से जनता-जनार्दन की सेवा की जा सकती है और भारत में विकास के बड़े-बड़े कार्यक्रमों को लागू किया जा सकता है, यह अटल जी ने अपने जीवन में करके दिखाया।’’
"भारत की भावी राजनीति की रूपरेखा की तैयार"
इस अवसर पर कवि कुमार विश्वास ने कविता पाठ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय राजनीति को दिशा दी। उन्हें राजनीति का लंबा अनुभव था। डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के साथ मिलकर उन्होंने भारत की भावी राजनीति की रूपरेखा तैयार की थी। वाजपेयी ने सफलतापूर्वक इसकी आधारशिला रखी। वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इसी आधारशिला पर नये भारत के भव्य भवन का नया स्वरूप हम सभी देशवासी देख रहे हैं।
वाजपेयी की जयन्ती का शताब्दी महोत्सव
सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार ग्राम पंचायत, विकास खंड, विधानसभा, मंडल और राज्य स्तर पर वाजपेयी की जयन्ती के शताब्दी महोत्सव के कार्यक्रमों को भव्यता से आयोजित कराएगी। इसके माध्यम से स्थानीय लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा औ छिपी हुई प्रतिभाओं को एक मंच प्रदान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव से लेकर प्रदेश स्तर पर अटल जी की स्मृति में कवि सम्मेलन प्रारम्भ होने चाहिए। विश्वविद्यालयों में वाजपेयी पर शोध होना चाहिए।
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