एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन इन दिनों भारत में हैं। वह महाकुंभ 2025 में शामिल होने के लिए यहां आई हैं। इस बीच शुक्रवार को वह काशी विश्वनाथ मंदिर भी पहुंचीं। हालांकि, उन्हें मंदिर के अंदर शिवलिंग को छूने की अनुमति नहीं दी गई। ऐसे में उन्होंने बाहर से ही प्रणाम किया। इस बारे में बात करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में गैर हिंदुओं को जाने की इजाजत नहीं है। इसी वजह से लॉरेन ने दूर से ही भगवान को प्रणाम किया।
स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा कि आचार्य महामंडलेश्वर और धर्मगुरु होने के नाते सनातन धर्म के नियमों का पालन कराना उनका कर्तव्य है। इसी वजह से उन्होंने लॉरेन को मंदिर के गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं दी।
कमला बनकर करेंगी कल्पवास
लॉरेन पॉवेल दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं में शामिल हैं। वह महाकुंभ 2025 में कल्पवास करने के लिए आई हैं। इस दौरान वह साधु-संतों के साथ रहेंगी। उन्हीं की दिनचर्या का पालन करेंगी और भारतीय संस्कृति के बारे में जानेंगी। कल्पवास के लिए उन्हें कमला नाम दिया गया है। महाकुंभ 2025 में उन्हें एक साध्वी के भेष में देखा गया। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने महाकुंभ 2025 में अपने अखाड़े की 40 सदस्यीय टीम भेजी है। लॉरेन भी इसी टीम का हिस्सा हैं और टीम के सदस्यों के साथ ही कल्पवास करेंगी।
काशी मंदिर को लेकर कोई विवाद नहीं- कैलाशानंद गिरि
आध्यात्मिक गुरु कैलाशानंद गिरि ने बताया कि लॉरेन बहुत ही धार्मिक और आध्यात्मिक हैं। वह भारतीय परंपराओं के बारे में जानना चाहती हैं। उन्होंने कहा "वह एक गुरु और पिता के रूप में मुझे सम्मान देती हैं। हर कोई उनसे सीख सकता है। दुनिया भारतीय परंपराओं को स्वीकार रही है। काशी विश्वनाथ मंदिर में उनके दौरे को लेकर कोई विवाद नहीं है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं। मैं एक आचार्य हूं और परंपराओं और मूल सिद्धांतों का पालन कराना मेरा काम है। वह मेरी बेटी हैं।"