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VIDEO: बुजुर्ग की मौत पर अर्थी से लिपटकर रोया बंदर, अंतिम संस्कार तक साथ गया

यूपी के अमरोहा में एक बंदर ने एक शख्स की मौक का ऐसा शोक मनाया कि पूरे क्षेत्र में चर्चे हो गए। बताया जा रहा है कि बुजुर्ग की जब मौत हुई तो बंदर सारा दिन अर्थी के पास ही बैठा रहा और अंतिम संस्कार तक श्मसान घाट तक साथ गया।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Updated on: October 13, 2023 11:45 IST
amroha monkey news- India TV Hindi
Image Source : VIDEO GRAB बुजुर्ग की अर्थी के साथ श्मशान घाट जाता बंदर

अमरोहा: कहते हैं कि जानवर को अगर दो वक्त की रोटी दे दो तो वह आपसे इंसानों से ज्यादा प्रेम करने लगते हैं। जानवरों के इंसान से प्रेम के समय समय पर किस्से सुनने को मिलते रहते हैं। ऐसा ही एक और उदाहरण सामने आया उत्तर प्रदेश के अमरोहा से जहां एक बुजुर्ग की मौत पर एक बंदर ने ऐसा शोक मनाया कि पूरे इलाके में चर्चे होने लगे। बताया जा रहा है कि मृतक बुजुर्ग इस बंदर को दो वक्त की रोटी खिलाया करता था। अचानक से एक दिन बूढ़े शख्स की मौत हो गई। इसके बाद बंदर बुजुर्ग की अर्थी के पास सारा दिन बैठा रहा।  

अर्थी से लिपटकर श्मशान घाट तक गया

दो वक्त की रोटी देने वाले व्यक्ति से एक बंदर का लगाव इतना बढ़ गया कि उनके निधन के बाद वह बुरी तरह शोक में रहा। बंदर ना सिर्फ बुजुर्ग की अर्थी के पास दिनभर बैठा रहा, बल्कि अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक साथ गया। लोगों ने बताया कि गमगीन बंदर वाहन में रखी बुजुर्ग की अर्थी से लिपट कर जोया से तिगरी धाम तक गया। बंदर के इस प्रेम को देखकर बुजुर्ग के परिजन और आसपास के लोग भी हैरान रह गए। रामकुंवर के परिवार वालों ने बताया कि रामकुंवर का अंतिम संस्कार करने के बाद जब वे लोग वापस घर जोया आए तो सबकी तरह बंदर भी वापस उनके घर आया और कुछ देर चारपाई पर बैठकर चला गया। उसके बाद वो बन्दर उनके घर नहीं आया है।

अंतिम संस्कार चिता के पास ही रहा
ये घटना अमरोहा जिले के कस्बा जोया के मोहल्ला जाटव कालोनी का है। यहां रामकुंवर सिंह नाम के एक बुजुर्ग की मौत हो गई। रामकुंवर के पास बीते दो महीने से एक बंदर आकर बैठ जाता था। रामकुंवर सिंह उसे खाने के लिए रोटी दे देते थे। इसी तरह बंदर का उनके रोज का आना-जाना हो गया। हर रोज बंदर रामकुंवर के पास आकर बैठ जाता और वह उसे खाना दे देते थे। खाने के अलावा बंदर उनके साथ खेलता भी रहता था। लेकिन मंगलवार सुबह अचानक रामकुंवर का देहांत हो गया। फिर उस बंदर ने अपने दोस्त रामकुंवर की मौत पर जैसा दुख मनाया, वो किसी से देखा ना गया। बंदर सारा दिन उनकी अर्थी के पास बैठा रहा। परिजनों ने जब तिगरी धाम ले जाने के लिए बुजुर्ग की अर्थी डीसीएम में रखी तो बंदर भी डीसीएम में जा बैठा। जोया से तिगरी धाम तक वह अर्थी से लिपटा रहा। अंतिम संस्कार होने तक बंदर चिता के पास ही मौजूद रहा।

(रिपोर्ट- राजीव शर्मा)

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