प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों की हड़ताल को गंभीरता से लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार से इस हड़ताल से हुए राजस्व नुकसान और अन्य नुकसान के बारे में बताने को कहा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रितिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की पीठ ने अपर महाधिवक्ता से कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में पूछा।
'लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने के लिए कोई स्वतंत्र नहीं'
अदालत ने कहा कि मामला यह नहीं है कि हड़ताल खत्म हो गई है, बल्कि यह मामला बहुत गंभीर है। अदालत ने कहा कि लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने के लिए कोई स्वतंत्र नहीं हो सकता। अदालत ने पूछा कि इन लोगों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि लोगों के जीवन को मुश्किल में डालकर मांग नहीं की जा सकती।
'हड़ताल से कितना नुकसान हुआ और किन क्षेत्रों यह नुकसान हुआ?'
जब इस मामले में सुनवाई दोबारा शुरू हुई, अदालत ने कर्मचारी यूनियनों के वकील से पूछा कि उनके आकलन के मुताबिक, इस हड़ताल से कितना नुकसान हुआ और किन क्षेत्रों यह नुकसान हुआ। कर्मचारी यूनियनों के वकील ने कहा कि इसका आकलन नहीं किया जा सकता है। इस पर अदालत ने कहा, “हम राज्य को इसका आकलन करने के लिए नहीं कहना चाहते अन्यथा हमें इस मामले में आदेश पारित करना पड़ेगा।” हालांकि अदालत ने इस मामले में सुनवाई टाल दी और कर्मचारी नेताओं को इस मामले में हलफनामा देने को कहा।