इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 के बरेली दंगा मामले में आरोपी मौलाना तौकीर रज़ा खान को बड़ा झटका दिया है। अदालत ने मौलाना तौकीर रजा के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, अदालत ने खान को जमानत के लिए निचली अदालत के समक्ष 27 मार्च को या इससे पहले पेश होने का निर्देश दिया और निचली अदालत को कानून के मुताबिक जमानत अर्जी पर फैसला करने का निर्देश दिया। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र ने कहा कि तब तक खान के खिलाफ गैर जमानती वारंट का क्रियान्वयन नहीं किया जाएगा जिससे याचिकाकर्ता को निचली अदालत के समक्ष पेश होने का अवसर मिल सके।
कोर्ट ने आदेश में से कुछ टिप्पणियों को भी हटाया
हाईकोर्ट ने बरेली की निचली अदालत के अपर सत्र न्यायाधीश द्वारा 2010 बरेली दंगा मामले से जुड़े एक आदेश में की गई कुछ टिप्पणियों को हटा दिया जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की थी। हाईकोर्ट ने मंगलवार को दिए अपने आदेश में कहा, “मैंने उस आदेश पर गौर किया जिसमें निचली अदालत ने कुछ गैर वांछित विचार व्यक्त किये हैं जिसमें राजनीतिक दृष्टिकोण और व्यक्तिगत विचार हैं।” उच्च न्यायालय ने कहा, “इसके अलावा, निचली अदालत ने उक्त आदेश में अपना व्यक्तिगत अनुभव भी साझा किया है जिसकी न्यायिक आदेश पारित करते हुए कतई जरूरत नहीं है।” उच्च न्यायालय ने कहा, “एक न्यायिक अधिकारी से अपेक्षा की जाती है कि उसे व्यवहार में मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करते हुए अभिव्यक्ति में सावधानी बरतनी चाहिए।”
2 मार्च 2010 को बरेली में क्या हुआ था?
गौरतलब है कि बरेली की एक अदालत ने मार्च 2010 में कुतुबखाना क्षेत्र में हुए साम्प्रदायिक दंगे के लिये इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां को 'मास्टर माइंड' करार देते हुए उन्हें समन जारी कर आगामी 11 मार्च को तलब किया था। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (एडीजीसी) दिगम्बर पटेल ने दो मार्च 2010 को बारावफात के दिन होली का जुलूस भी निकलना था। इसी को लेकर गतिरोध शुरू हुआ। हालांकि दोनों ही जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से निकाले गये लेकिन आरोप है कि सौदागरान के रहने वाले और आला हजरत परिवार से जुड़े आईएमसी के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने एक जन समूह को भड़काऊ भाषण दिया था।
इसके बाद शहर कोतवाली के कुतुब खाने से लेकर प्रेम नगर थाना क्षेत्र के कुहाड़ा पीर बाजार तक दंगा हुआ था। इस दौरान भीड़ ने पुलिस चौकी को फूंक दिया था और बहुसंख्यकों के घरों को आग के हवाले कर दिया। हालात के मद्देनजर शहर में 27 दिनों तक कर्फ्यू लगाया गया था। बरेलवी मुसलमानों के बीच खासा प्रभाव रखने वाले मौलाना तौकीर अपने तल्ख बयानों के लिये जाने जाते हैं।
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