उत्तर प्रदेश में 69 हजार प्राइमरी टीचरों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने भर्ती की पूरी मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि तीन महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट बनाई जाए, जिसमें बेसिक शिक्षा नियमावली और आरक्षण नियमावली का पालन हो। इसे लेकर अब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर बयान देते हुए यूपी सरकार व भाजपा पर निशाना साधा है। एक्स पर उन्होंने लिखा, "69000 शिक्षक भर्ती भी आखिरकार भाजपाई घपले, घोटाले और भ्रष्टाचार की शिकार साबित हुई। यही हमारी मांग है कि नये सिरे से न्यायपूर्ण नयी सूची बने, जिससे पारदर्शी और निष्पक्ष नियुक्तियां संभव हो सकें और प्रदेश में भाजपा काल मे बाधित हुई शिक्षा-व्यवस्था पुनः पटरी पर आ सके।
अखिलेश यादव का बयान
उन्होंने आगे लिखा, "हम नयी सूची पर लगातार निगाह रखेंगे और किसी भी अभ्यर्थी के साथ कोई हक़मारी या नाइंसाफ़ी न हो, ये सुनिश्चित करवाने में कंधे-से-कंधा मिलाकर अभ्यर्थियों का साथ निभाएगे। ये अभ्यर्थियों की संयुक्त शक्ति की जीत है। सभी को इस संघर्ष में मिली जीत की बधाई और नव नियुक्तियों की शुभकामनाए।" बता दें कि परीक्षा के बाद जारी हुए इस मेरिट लिस्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती हुई थी। लेकिन भर्ती प्रकिया पर सवाल खड़े होने लगे थे। ये दावा सामने आया कि 19 हजार आरक्षित अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला जिसके बाद कुछ अभ्यर्थी कोर्ट चले गए। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच ने टीचर भर्ती की मेरिट लिस्ट के रिव्यू के आदेश दिए हैं।
विवाद आखिर है क्या?
दरअसल, उत्तर प्रदेश में साल 2018 के दिसंबर महीने में कुल 69000 शिक्षकों की भर्ती का विज्ञापन निकला था। इस भर्ती के तहत साल 2019 में 4 लाख 10 अभ्यर्थी परीक्षा देने बैठे थे। 2020 में इस परीक्षा रिजल्ट आया और 1 लाख 47 हजार अभ्यर्थी पास हो गए। इनमें आरक्षित वर्ग के 1 लाख 10 हजार अभ्यर्थी थे। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच ने 69 हजार शिक्षक भर्ती में पूरी मेरिट लिस्ट को ही रद्द करने का आदेश दिया है। यूपी सरकार ने भर्ती नियमानुसार होने की बात कही थी लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब यूपी सरकार को तीन महीने के भीतर नई मेरिट लिस्ट जारी करने को कहा गया है।