प्रयागराज: 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने जा रहा है। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल हो रहे हैं। अब इस समारोह में पीएम व सीएम को शामिल होने से रोकने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक पीआईएल डाली गई है, जिसमें दोनों को समारोह में शामिल होने से रोकने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया है। ये याचिका गाजियाबाद के भोलादास नाम के एक व्यक्ति ने दायर की है।
केंद्र, PM,CM और चारों शंकराचार्यों प्रतिवादी
याचिका में इस साल के आम चुनाव होने तक और सभी शंकराचार्यों की सहमति मिलने तक पीएम और सीएम को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने से रोकने का अनुरोध किया गया है। दायर PIL में, केंद्र सरकार, PM, UP सरकार, राज्य के मुख्यमंत्री और चारों शंकराचार्यों को प्रतिवादी के तौर पर पक्षकार बनाया गया है। याचिका में ये भी कहा गया है कि सत्तारूढ़ बीजेपी, सरकार की शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है और आगामी चुनाव में अपने राजनीतिक हित के लिए सनातन संस्कृति को नष्ट कर रही है। याचिका में आगे कहा गया है कि धर्म गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पीएम मोदी के शामिल होने के खिलाफ हैं। बता दें कि इस याचिका का नोटिस सीएम ऑफिस में दिया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इस पर सुनवाई कब होनी है।
'सरकार के कोष से करीब 590 लाख रुपये जारी हुए'
एक अन्य कदम के तहत ‘उत्तर प्रदेश ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन’ ने प्रदेश के मुख्य सचिव के उस सर्कुलर के खिलाफ एक रिट याचिका दायर की है जिसमें 14 से 22 जनवरी के बीच राज्य के विभिन्न हिस्सों में पूजा, कीर्तन और मानस पाठ और कलश यात्रा जैसे धार्मिक आयोजन करने का निर्देश दिया गया है। यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष नरोत्तम शुक्ला की दायर इस याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि इन धार्मिक आयोजनों के लिए राज्य सरकार के कोष से करीब 590 लाख रुपये जारी हुए हैं, जो राज्य सरकार नहीं कर सकती क्योंकि यह संवैधानिक जनादेश के खिलाफ है।
(रिपोर्ट-पीटीआई)
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