अमेरिका और फिलिपींस ने दक्षिण चीन सागर में बड़ा जंगी अभ्यास शुरू कर दिया है। इस बीच चीन के राष्ट्रपति ने देश के सशस्त्र बलों को अपनी ट्रेनिंग एक असली जंग की तरह करने का आदेश दिया है। यह जानकारी चीनी मीडिया ने दी।
चीन की सरकारी मीडिया ने बताया कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के ‘ईस्टर्न थिएटर’ कमान ने ताइवान द्वीप के आसपास गश्त और अभ्यास के सभी कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। चीन ने कहा, ‘‘सैनिक लड़ने के लिए तैयार हैं।"
रूसी सरकारी समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के मुताबिक, सोमवार को दोनों नेताओं के बीच साढ़े चार घंटे तक बातचीत चली। औपचारिक बैठक मंगलवार को होने की उम्मीद है।
पुतिन ने यह भी कहा कि बैठक ने अमेरिका को संदेश दिया है कि दोनों देश उन्हें कमजोर करने के प्रयासों को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि रूस और चीन को भयभीत करने की अमेरिकी नीति लगातार उग्र और अधिक आक्रामक होती जा रही है।
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किए जाने के बाद पहली बार कोई बड़ा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन से मुलाकात करने जा रहा है। इस मुलाकात से चीन का हित यह है कि वह अपने सबसे बड़े दुश्मन अमेरिका को कूटनीतिक मात देना चाहता है।
PLA को 'ग्रेट वॉल आफ स्टील' बनाने का वक्त आ गया है। जिससे की देश की संप्रभुता की रक्षा की जा सके। राष्ट्रपति और सेना प्रमुख के रूप में अपने अभूतपूर्व तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में शी जिनपिंग ने यह बात कही।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग में यदि मुलाकात होती है तो इस पर पूरी दुनिया की नजर होगी। खासकर अमेरिका और नाटो देशों को यह मुलाकात काफी चुभने वाली होगी।
चीन और अमेरिका की दुश्मनी जगजाहिर है। ऐसे में जिनपिंग ने अपनी जिस शख्स को नया रक्षा मंत्री नियुक्त किया है, उसे अमेरिका पसंद नहीं करता है।
भगोड़ा नित्यानंद लगातार भारत विरोधी गतिविधियों में लगा हुआ है। इससे पहले नित्यानंद की एक प्रतिनिधि ने यूएन में भारतके खिलाफ जहर उगला था। नित्यानंद की यह प्रतिनिधि थी विजयाप्रिया। उसने यूएन में खुद को कैलाशा देश का स्थाई प्रतिनिधि बताया था।
सप्ताह भर चली इस बैठक के बाद 69 वर्षीय शी जिनपिंग को राष्ट्रपति चुन लिया गया। हालांकि उनको इस बैठक में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जीरो कोविड नीति के मुद्दे पर भी कई सवाल उठाए गए। हालांकि शी जिनपिंग ने सभी सवालों को पार कर लिया।
कंगाली की कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान को उसके बेस्ट फ्रेंड चीन ने बड़ी मदद का ऐलान किया है। चीन ने पाकिस्तान के लिए 1.3 अरब डॉलर का रोलओवर क़र्ज़ को मंज़ूरी दी है। पाकिस्तान ने ये जानकारी दी है।
Russia-Ukraine War Update: मार्च या अप्रैल में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस जाएंगे और पुतिन से मुलाकात करेंगे। इस खबर से अमेरिका की टेंशन बढ़ सकती है और रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा महायुद्ध नया रूप ले सकता है।
पाकिस्तान कंगाली की कगार पर पहुंच गया है, सबसे ज्यादा कर्जदार वह चीन का है। तो क्या पाकिस्तान की कंगाली का असर चीन के साथ सदाबहार दोस्ती पर भी पड़ेगी?
चीन में पिछले साल वृद्धि दर तीन प्रतिशत तक घट गई थी, जो पिछले 50 वर्षों में दूसरी सबसे कम वृद्धि है।
ईरान के राष्ट्रपति की यह यात्रा भारत के लिहाज से चिंताजनक हो सकती है। क्योंकि चीन और ईरान दोनों ही अमेरिकी के विरोधी हैं। वहीं अमेरिका भारत का काफी बड़ा साझेदार है। ऐसे में चीन ईरान का उपयोग भारत के खिलाफ कर सकता है।
पेंटागन ने कहा कि मोंटाना के बाद अब लैटिन अमेरिका के आसमान में एक और चीनी गुब्बारा देखा गया है। गुब्बारे को लेकर चीन और अमेरिका के बीच विवाद बढ़ सकता है।
अमेरिका ने चीनी शॉर्ट वीडियो-मेकिंग ऐप टिकटॉक को राष्ट्रव्यापी तौर पर प्रतिबंधित करने की योजना बनाई। हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी अगले महीने टिकटॉक के प्लेटफॉर्म को पूरी तरह से ब्लॉक करने के लिए एक बिल पर वोट करेगी।
भारत-चीन सीमा पर चीन की हरकतों को देखने के बाद अमेरिका भी खुलकर भारत के समर्थन में आ गया है। चीन वर्षों से भारत में घुसपैठ और अतिक्रमण जैसा एकतरफा प्रयास करता आ रहा है। अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख क्षेत्र से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ड्रैगन की जबरदस्ती को देखते हुए अमेरिका भारत के साथ खड़ा हो गया है।
चीन की हाई स्पीड रेलवे सेवा करीब 3 वर्ष बाद फिर से शुरू होने जा रही है। इससे चीनी यात्रियों ने राहत की सांस ली है। आपको बता दें कि चीन ने कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण हाई स्पीड रेल सेवा को बंद कर दिया था।
China And Russia New strategy: चालबाज चीन अमेरिका को मात देने के लिए अब नई पैंतरेबाजी में जुट गया है। इसके लिए वह रूस के साथ अपनी दोस्ती को और भी प्रगाढ़ कर रहा है। रूस और चीन दोनों ही महाशक्ति हैं और दोनों देश अमेरिका के कट्टर दुश्मन हैं। कोरोना से जूझते हुए भी चीन का इरादा अमेरिका को लेकर ठीक नहीं है।
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