प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जोहान्सबर्ग जाएंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इसकी पुष्टि कर दी गई है। जोहान्सबर्ग में 22 से 24 अगस्त तक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन होना है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इसमें हिस्सा लेंगे।
चीन अपनी सीपीईसी योजना को पाकिस्तान में विस्तार देना चाहता है। इसलिए वह अब फिर पाकिस्तान पर डोरे डाल रहा है। हाल ही में चीन ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद भी की है। हालांकि यह सब करने में उसने काफी देर कर दी। चीन ने अब हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़े रहने की बात कही है।
ब्रिटेन, जापान की अंतरिक्ष एजेंसियों ने भी भारत को सफल लॉन्चिंग के लिए बधाई दी है। वहीं चीन से भी भारत के चंद्रयान 3 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग को लेकर टिप्पणी आई है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एससीओ समिट को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने अमेरिका की आलोचना की। साथ ही बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव पर भी अपनी बात रखी।
भारत जी-20 के साथ एससीओ शिखऱ सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्चुअल शिखर सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ जैसे नेता भाग ले रहे हैं। भारत की मेजबानी में पहली बार यह सम्मेलन वर्चुअल हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग 4 जुलाई को एससीओ के प्रमुखों की 23वीं परिषद बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हिस्सा लेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा शी जिनपिंग को तानाशाह बताए जाने पर चीन फिर बौखला गया है। हालांकि हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की चीन यात्रा के बाद ड्रैगन अपने रिश्ते सुधारने में जुटा था। मगर राष्ट्रपति जो बाइडेन ने चीन की गलतफहमी को दूर कर दिया है। भारत के साथ करीब होते रिश्तों की अहमित भी बता दी है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर भड़क गए हैं। उन्होंने जिनपिंग को तानाशाह कहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री की हालिया चीन यात्रा और पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के बीच बाइडन ने यह बड़ा बयान दिया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और ताइवान पर तनाव के बीच अमेरिका और चीन में अचानक शुरू हुआ दोस्ती का नया अध्याय हर किसी को चौंकाने वाला है। साथ ही यह रूस को चौकन्ना करने वाला भी है। अमेरिका और चीन के बीच अचानक बढ़ रही यह नजदीकी यूं ही नहीं है, बल्कि इसके पीछे कुछ न कुछ गुप्त डील हो सकती है, जो रूस के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
चीन और अमेरिका में लंबे समय से तकरार होती आ रही है। दोनों ही दुनिया के ताकतवर देशों में शुमार हैं। लिहाजा अमेरिका कभी चीन को धमकाता है तो कभी चीन अमेरिका को। ताइवान के मसले को लेकर दोनों देशों में तनाव चरम सीमा पर है। लिहाजा जो बाइडेन चीन से अपना कारोबार समेटने लगे हैं। इससे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग परेशान हैं।
चीन में युवाओं के फैसले ने जिनपिंग सरकार की चिंता बढ़ा दी है। कपल्स शादी और बच्चे पैदा करने को तैयार नहीं हैं जिससे चीन की आबादी घटती जा रही है। सरकार इसके लिए कई तरह की सुविधाएं भी देने को तैयार है।
ताइवान पर वाशिंगटन के रुख की तरह, यूक्रेन पर हमले को लेकर चीन की स्थिति‘‘रणनीतिक अस्पष्टता’’ का एक उदाहरण रही है। चीन ने लगातार संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के महत्व पर जोर दिया है, जबकि आक्रमण की निंदा करने में विफल रहा है और मॉस्को को ‘‘बेहद दोस्ती’’ का आश्वासन दिया है।
शी जिनपिंग सोमवार 20 मार्च से 22 मार्च तक रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। वे वहां अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ अहम बातचीत करेंगे। इस दौरान वे रूस और यूक्रेन में जंग को खत्म करने के लिए शांति वार्ता की पैरवी कर सकते हैं।
चीन को आखिर अमेरिका से ऐसा क्या खतरा सता रहा है कि उसकी आशंकाएं बढ़ती जा रही हैं। चीन ने कहा है कि उसे नियंत्रित करने का अमेरिकी प्रयास कभी सफल नहीं होगा। इसका मतलब क्या अमेरिका चीन पर नियंत्रण करना चाह रहा है, अगर नहीं तो चीन ने यह बयान किस लिए दिया है?...यह सब जानने के लिए आपको मामले के तह तक जाना होगा।
अमेरिका के अनुसार यूक्रेन युद्ध में चीन चोरी-चुपके से रूस की मदद कर रहा है। इसकी जानकारी अब जो बाइडन प्रशासन को हो चुकी है। बताया जा रहा है कि यूक्रेन युद्ध में चीन कई तरह से पुतिन को मदद मुहैया करा रहे हैं। इसके बाद अमेरिका ने चीन को कड़ी चेतावनी दी है।
अरुणाचल प्रदेश से लेकर लद्दाख तक लगने वाली भारत-चीन की सीमा पर अब शी जिनपिंग की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) कदम तक नहीं रख सकेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को कड़ा जवाब देने के लिए भारत के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा फैसला लिया है। इस निर्णय के बारे में सुनते ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खेमे में खलबली है।
चीन की सेना में 9 लाख 65 हजार थल सैनिक हैं। नेवी में सैनिकों की संख्या दो लाख 60 हजार है और चीनी एयरफोर्स में तीन लाख 95 हजार सैन्यकर्मी हैं। चीन की सेना की दक्षता और उसकी ईमानदारी को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। इसी बीच जिनपिंग सेना पर प्रभाव बनाने में जुटे हैं।
चीन का सीमा विवाद से पुराना नाता रहा है, सिर्फ भारत के साथ ही नहीं, बल्कि भूटान, नेपाल और फिलिस्तीन, वियतनाम जैसे देशों के साथ भी उसका पुराना विवाद है। चीन की विस्तारवादी मंशा के चलते उसका विभिन्न देशों के साथ सीमा विवाद बढ़ता ही जा रहा है। भारत की तरह ही भूटान से भी उसका सीमा विवाद चल रहा है।
America on China-Taiwan Tension: कोरोना की भीषण आग में जलते रहने के बावजूद चीन जबरन विस्तारवादी नीति से बाज नहीं आ रहा। शी जिनपिंग ताइवान से लेकर, भारत, फिलीपींस और जापान तक को घेरने में जुटे हैं। चीनी सेना कभी भारत के गलवान और तवांग में घुसपैठ का प्रयास करती है तो कभी ताइवान को घुड़की दिखाती है।
चीन के वरिष्ठ विशेषज्ञ जेरोम कोहेन कहते हैं, ''राजनीतिक रूप से, 2022 चीनी राष्ट्रपति के लिए गौरव का वर्ष माना जाता है, लेकिन इसके बजाय इसने शी को चिंता में भी डाल दिया। उनका देश उथल-पुथल में है और जनता की नजर में उनकी प्रतिष्ठा प्रभावित हुई है।''
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