गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी खत्म कर दी है। इससे पहले गेहूं पर इंपोर्ट ड्यूटी 10 प्रतिशत थी।
सरकार को कृषि उपज मूल्य निर्धारण के संदर्भ में सलाह देने वाली निकाय सीएसीपी ने रबी दलहन के MSP में 475 रुपए प्रति क्विंटल वृद्धि की सिफारिश की है।
केंद्र सरकार ने आगामी त्योहारों के दौरान आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से गेहूं और आलू पर आयात शुल्क घटाकर 10 फीसदी कर दिया
2015-16 में दलहनों का उत्पादन 4% घटकर 1.647 करोड़ टन रह गया। वहीं गेहूं की बंपर फसल के चलते देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन मामूली बढ़कर 25.222 करोड़ टन रहा।
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि अगर गेहूं की कीमतों में निरंतर वृद्धि जारी रहती है तो सरकार इसपर 25 प्रतिशत आयात शुल्क को वापस ले सकती है।
दस राज्यों में सूखे के कारण देश का खाद्यान उत्पादन 2015-16 में 25.22 करोड़ टन के स्तर पर स्थिर रह सकता है। वहीं दलहन के उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
मार्च में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर शून्य से 0.85 फीसदी प्रतिशत नीचे रही, जो कि फरवरी में शून्य से 0.91 प्रतिशत कम थी।
इस साल भी बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि फसलों पर कहर बन के बरसी है। इसके कारण पंजाब और हरियाणा के कुछ इलाकों में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है।
फरवरी में थोक महंगाई दर -0.9 फीसदी पर स्थिर रही। यह लगातार 16वां महीना जब थोक महंगाई दर शून्य के नीचे रही है। जनवरी में महंगाई दर शून्य से 0.90% नीचे थी।
थोक महंगाई दर में मामूली गिरावट देखने को मिली है। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में थोक महंगाई दर शून्य से 0.90 फीसदी नीचे रही
देश में लगातार दो साल से सूखे के बावजूद सरकारी अनुमान के मुताबिक देश में 2015-16 (फसल वर्ष) के दौरान अनाज उत्पादन बढ़कर 25.31 करोड़ टन पहुंच सकता है।
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि कम रकबे के बावजूद देश में गेहूं का उत्पादन 2015-16 में पिछले साल के उत्पादन से अधिक रहने की उम्मीद है।
कमजोर मानसून से उत्पादन कम रहने की चिंताओं के बीच सरकार ने चालू वर्ष में गेहूं की कमी की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि गेहूं का पर्याप्त भंडार मौजूद है।
दिसंबर महीने में इस साल औसत तापमान रिकॉर्ड 22-23 डिग्री सेल्सियस के स्तर पर पहुंच गया। इसके कारण लगातार दूसरे साल गेहूं का उत्पादन घट सकता है।
2014 में सूखे जैसी स्थिति की मार झेलने वाले किसानों को इस साल फरवरी-अप्रैल में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के चलते 100 लाख टन रबी फसलों का नुकसान हुआ।
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