भारत खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना के लिए फॉर्मूले में संशोधन की मांग कर रहा है।
मंत्रालय ने रबी सत्र 2024-25 के लिए 164.55 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें 115 लाख टन गेहूं और 18.15 लाख टन दालें शामिल हैं। रबी (सर्दियों) की फसलों की बुवाई शुरू हो गई है और दिवाली के बाद इसमें तेजी आएगी।
प्रोसेसरों के लिए, लिमिट को घटाकर उनकी मासिक स्थापित क्षमता (MIC) का 60 प्रतिशत कर दिया गया है। अभी तक ये 70 प्रतिशत था। व्यक्तिगत खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक लिमिट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है यानी वे अभी भी 10 टन तक गेहूं का स्टॉक रख सकते हैं।
सोशल मीडिया में एक वीडियो पिछले कई महीनों से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में बताया जा रहा है कि अब फैक्ट्री में प्लास्टिक के गेहूं बनाए जा रहे हैं। इंडिया टीवी की फैक्ट चेक टीम ने इस वायरल वीडियो की जांच पड़ताल की है।
सरकार का कहना है कि उसके पास सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त गेहूं का स्टॉक है, जो लगभग 1.84 करोड़ टन है।
गेहूं के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है और चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध की समीक्षा करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 3,000 टन होगी, जबकि यह प्रोसेसर के लिए यह प्रसंस्करण क्षमता का 70 प्रतिशत होगी।
कारोबारी सरकार से आयात नियमों में ढील देने के लिए कह रहे हैं ताकि वे ऐसे समय में आयात दोबारा से शुरू कर सकें जब रूसी उत्पादन में अधिकता के चलते अंतरराष्ट्रीय कीमतें कम हैं। भारत में छह साल पहले गेहूं के आयात पर 44% शुल्क लगाया गया था।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने चालू विपणन सत्र के दौरान 11 जून तक लगभग 266 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं की खरीद की है। गेहूं का स्टॉक कभी भी तिमाही बफर स्टॉक मानदंडों से नीचे नहीं गया है।
भारत का अनुमान है कि फसली वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) में गेहूं उत्पादन 11.4 करोड़ टन के नए रिकॉर्ड तक पहुंचेगा। दूसरी ओर पाकिस्तान ने 3.22 करोड़ टन पैदावार का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने 2024-25 के लिए 310 लाख टन के कुल गेहूं खरीद लक्ष्य का 16 प्रतिशत इनसे खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया है।अक्टूबर से केंद्र इन तीन राज्यों के साथ खरीद स्तर बढ़ाने के लिए काम कर रहा है।
देश में गेहूं की कीमतें काबू में रखने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। इसी दिशा में अब देशभर के कारोबारियों को स्टॉक घोषित करने का निर्देश दिया है।
रबी सत्र 2023-24 में दाल की बुवाई 155.13 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल 162.66 लाख हेक्टेयर से कम है। आंकड़ों से पता चलता है कि चना, उड़द और मूंग का रकबा कम रहा। हालांकि, चालू रबी सत्र में अब तक मसूर का रकबा 19.51 लाख हेक्टेयर से अधिक है, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 18.46 लाख हेक्टेयर था।
फसल वर्ष 2022-23 में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 11.055 करोड़ टन रहा, जबकि पिछले वर्ष 10. 77 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था।
चावल, गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों को थामने के लिए सरकार गेहूं और चावल दोनों की साप्ताहिक ई-नीलामी कर रही है।
सरकार की तरफ से गेहूं के बनावटी किल्लत की स्थिति को रोकने और जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किया गया है। गेहूं का प्रोसेस करने वालीं कंपनी वित्त वर्ष 2023-24 के बाकी महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 70 प्रतिशत रख सकती हैं।
केंद्र सरकार द्वारा गेहूं और चना समेत रबी की कुल 6 फसलों पर MSP बढ़ाने जाने पर खुशी जताते हुए सीएम खट्टर ने पीएम मोदी का आभार जताया है और इसे किसानों के लिए दिवाली का गिफ्ट करार दिया है।
यह बढ़ोतरी मोदी सरकार के अबतक के टेन्योर में सबसे ज्यादा है। मार्केटिंग ईयर 2023-24 (अप्रैल-मार्च) के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल है।
Modi Government: जमाखोरी रोकने और बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने 12 जून को गेहूं पर तत्काल प्रभाव से मार्च 2024 तक भंडारण सीमा लगा दी थी।
गेहूं और चावल की मौजूदा खरीद से सरकारी भंडारों में खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार बना हुआ है।
सरकार ने ई-नीलामी के जरिये आटा मिलों, निजी व्यापारियों और गेहूं उत्पादों के निर्माताओं को केंद्रीय पूल से ओएमएसएस के तहत 15 लाख टन गेहूं की बिक्री करने की घोषणा की थी।
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