खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार गेहूं खरीद के लिए खास तौर से तैयारी की है। राज्य सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये तय किया है। खरीद केंद्रों पर ऑक्सीमीटर, इफ्रारेड थमार्मीटर की व्यवस्था उपलब्ध कराने के निर्देश भी अफसरों को दिए हैं। खरीद केंद्रों पर पहुंचने वाले हर किसान का तापमान चेक किया जा रहा है।
केंद्र सरकार का कहना है कि एमएसपी पर फसलों की खरीद में किसानों की जमीन का रिकॉर्ड दाखिल करने और ऑनलाइन भुगतान होने से पारदर्शिता आएगी और असली किसानों को फायदा मिलेगा। लेकिन पंजाब सरकार आगामी रबी सीजन में जमीन के रिकॉर्ड दाखिल करने की अनिवार्यता लागू करने को तैयार नहीं है।
अधिकारी बताते हैं कि इससे असली किसानों की पहचान आसान होने के साथ-साथ MSP पर खरीद की व्यवस्था में पारदर्शिता आई है। केंद्र सरकार में खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया कि MSP पर खरीद के लिए किसानों की बायोमेट्रिक पहचान उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बिहार और राजस्थान में शुरू की गई है।
पाकिस्तान ने बीते 8 महीने में 33 लाख टन गेहूं का आयात किया है, जिसका बिल 91 करोड़ डॉलर है। खास बात ये ही कि बीते साल की इसी अवधि में गेहूं का कोई आयात नहीं किया गया था। वहीं चीनी के आयात में बीते साल के मुकाबले 6000 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त रही है।
इस वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 1,975 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। गेहूं की बिक्री के लिए किसानों को खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है जिसकी शुरुआत कर दी गई है।
प्रदेश सरकार के मुताबिक राज्य के कम से कम 7.25 लाख किसानों ने गेहूं की बिक्री के लिए 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया है। साथ ही, पड़ोसी राज्यों के 1.03 लाख किसानों ने भी इस पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया है।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा देश का एकमात्र राज्य है, जहां छह फसलें - गेहूं, सरसों, दालें, चना, सूरजमुखी और जौ - न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी जाती हैं। पहली बार, एमएसपी पर जौ की फसल की खरीद की जाएगी और इसके लिए सात 'मंडियों' की स्थापना की गई है।
मध्य प्रदेश सरकार ने एक बयान में कहा कि जिन किसान भाइयों ने समर्थन मूल्य पर उपज विक्रय के लिए अभी तक पंजीयन नहीं कराया है वह आज ही पंजीयन कराकर समर्थन मूल्य का लाभ सुनिश्चित करें।
इस साल देश में 1092.4 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है, यानि इस साल पैदा होने वाले कुल गेहूं का लगभग 39 प्रतिशत सरकार खरीदने जा रही है। पिछले साल देशभर में किसानों से 389.93 लाख टन गेहूं की खरीद की थी
फसल वर्ष 2020-21 के लिए दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार इस साल रबी सीजन के दौरान देश में रिकॉर्ड अनाज और दलहन पैदा होने का अनुमान है।
गेहूं की बुवाई सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 99 लाख हेक्टेयर से अधिक हुई है जबकि दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है जहां गेहूं का रकबा इस साल पिछले साल से 8.30 लाख हेक्टेयर बढ़कर करीब 88 लाख हेक्टेयर हो गया है।
भारत ने 2020-21 में अप्रैल से दिसंबर के दौरान 1,870 करोड़ रुपये (25.2 करोड़ डॉलर)मूल्य का गेहूं निर्यात किया है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में गेहूं का निर्यात 336 करोड़ रुपये (480 लाख डॉलर) मूल्य का हुआ। इस प्रकार गेहूं निर्यात में रुपये के मूल्य में 456.41 फीसदी जबकि डॉलर के मूल्य में 431.10 फीसदी का इजाफा हुआ है।
गेहूं के आटे से बनी रोटी तो हर सीजन में खाई जाती है। लेकिन, सर्दी के मौसम में अलग-अलग तरह के आटे की रोटियां डाइट में जरूर शामिल करनी चाहिए। आज हम आपको बताएंगे कि तमाम तरह की रोटियां खाने से हमारी बॉडी को कितनी ताकत मिलती है।
हरियाणा और पंजाब के किसान अपना अघिकतर गेहूं और धान सरकार को समर्थन मूल्य पर बेचते हैं, बावजूद इसके आंदोलन कर रहे हैं और सरकार से MSP को कानूनी रूप से लागू करने की मांग कर रहे हैं
कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में रबी बुवाई खेती के रकबे की साप्ताहिक प्रगति की समीक्षा से पता चलता है कि इन क्षेत्रों में रेपसीड और सरसों, दलहन और अन्य फसलों के खेती के रकबे में वृद्धि हुई है।
पिछले साल सरकार ने गेहूं के लिए 1925, चने के लिए 4875, जौ के लिए 1525, सरसों के लिए 4425 और मसूर के लिए 4800 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया हुआ था।
केंद्र सरकार ने चालू फसल वर्ष 2020-21 यानि जुलाई 2020 से जून 2021 के बीच में 30.1 करोड़ टन खाद्यान्नों का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है जो कि पिछले साल के मुकाबले करीब 2 फीसदी ज्यादा है।
पिछले साल सरकार ने गेहूं के लिए 1925, चने के लिए 4875, जौ के लिए 1525, सरसों के लिए 4425 और मसूर के लिए 4800 रुपए प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया हुआ था।
भारतीय रोलर आटा मिलर्स महासंघ (आरएफएमएफ) ने वादा किया है कि वे कीमत का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाएंगे।
क्या सरकार के पास क्या इतना स्टॉक पड़ा भी है कि वह 5 महीने तक फ्री में 80 करोड़ लोगों को 5 किलो गेहूं या चावल के साथ एक किलो चना उपलब्ध करा सके?
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