खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि ‘सट्टेबाजी’ के कारण गेहूं की कीमतों में तेजी आई है।
Wheat Flour Exports Ban: सरकार ने बढ़ती कीमतों (Rate) पर अंकुश लगाने के लिए गेहूं का आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर रोक लगा दी है।
केंद्र सरकार (Central Government) ने बृहस्पतिवार को गेहूं के आटे के दाम में तेजी पर लगाम लगाने के लिये इसके निर्यात पर अंकुश लगाने का निर्णय लिया है।
Wheat import: भारत में गेहूं खरीदने की कोई जरूरत नहीं है। देश की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक है।
काफी दिनों से चल रही चर्चा से अब पर्दा उठ गया है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि गेहूं आयात (Wheat Import) करने की कोई योजना नहीं है
अब गेहूं के आटे के निर्यातकों को आटा निर्यात करने के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति की मंजूरी लेनी होगी और यह आवश्यकता 12 जुलाई से प्रभावी होगी।
सरकार उन निर्यातकों को गेहूं निर्यात की अनुमति दे रही है जिनके पास 13 मई से पहले के एल/सी हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक बाजारों में गेहूं की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई है।
UAE Banned Indian Wheat Export: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के संकट के बीच भारत ने 13 मई को अपना गेहूं निर्यात करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में कुछ शर्तों के साथ इन निर्णय को शिथिल किया था। यूएई ने संकट के बीच भारत से गेहूं मांगा था, तो भारत ने उसे यह खेप भेजी थी।
Wheat Crisis: भारत को गेहूं के सबसे बड़े खरीदार इंडोनेशिया और बांग्लादेश समेत 5 देशों से गेहूं के लिए आवेदन मिले हैं। इनके अलावा ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और यमन जैसे खाड़ी देशों ने भी भारत से गेहूं मांगा है।
Wheat Crisis: गेहूं को लेकर पूरी दुनिया मे रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के कारण संकट है। दरअसल, इस युद्ध के कारण दुनियाभर में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। कई देशों में गेहूं की भारी कमी हुई है।
संबंधित निर्यातक आईटीसी लिमिटेड ने दावा किया है कि 56877 टन की निर्यात खेप को सभी जरूरी मंजूरियां प्राप्त थीं। यह गेहूं भारत की आईटीसी ने जेनेवा की कंपनी को बेचा था, जिससे तुर्की ने खरीद की है।
#Shorts #IndiaTVShorts #WheatExportBanक्या गेंहू निर्यात बैन से दुनिया में आएगा भुखमरी का संकट?
भारत सरकार के गेहूं के एक्सपोर्ट (निर्यात) पर रोक लगाने के बाद विदेशी बाजारों में गेहूं की कीमतें 60% तक बढ़ चुकी हैं।
फरवरी में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से वैश्विक स्तर पर गेहूं की किल्लत पैदा हुई थी। यूक्रेन और रूस दुनिया भर में 12 प्रतिशत गेहूं की सप्लाई करते हैं।
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच छिडे़ युद्ध के चलते वैश्विक बाजार में मध्य प्रदेश की शरबती एवं कठिया (ड्यूरम) जैसी मशहूर गेहूं किस्मों की मांग में जबर्दस्त इजाफा हुआ है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमान के अनुसार वर्ष 2021-22 के दौरान गेहूं का कुल उत्पादन रिकॉर्ड 111.32 मिलियन टन होने का अनुमान है। वहीं, दूसरी ओर रूस-यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई से गेहूं की मांग विदेशों में बढ़ गई है।
किसानों ने बताया कि पास के गांव फिरोजपुर में एक रीपर से आग शुरू हुई और काछवा में किसानों के खेतों तक पहुंच गई। आग इतनी भीषण थी कि फायर ब्रिगेड के बिना आग पर काबू पाना काफी मुश्किल था। तेज़ हवा के कारण आग लगातार बढ़ती जा रही थी।
UN महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि 45 अफ्रीकी और कम विकासशील देश अपने गेहूं का कम से कम एक तिहाई हिस्सा यूक्रेन और रूस से मंगाते हैं।
भारतीय किसानों को उनकी फसल की अधिक कीमत दिलाने में मददगार होगी। यानी किसानों के लिए यह युद्ध कमाई बढ़ाने के मौके लेकर आया है।
धान (गैर-बासमती), गेहूं, सोयाबीन, कच्चे पाम तेल और मूंग के लिए नए अनुबंधों की शुरूआत पर नियामक ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
संपादक की पसंद