केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि अगले दो हफ्तों में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाली कोई गर्मी की लहर की आशंका नहीं है।
पिछले साल रोटी की महंगाई ने आम लोगों को खूब सताया। लेकिन इस साल आसार अभी तक अच्छे दिख रहे हैं। सरकार की एक समिति ने राहत देने वाली खबर दी है।
मौसम के बदलते रुख से गेहूं की फसल को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है। पंजाब के किसान दिन-ब-दिन बढ़ रही गर्मी से चिंतित हैं। किसानों का कहना है कि अगर ऐसे ही गर्मी बढ़ी तो गेहूं की फसल बर्बाद हो जाएगी।
एफसीआई को खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक उपभोक्ताओं को 15 मार्च तक साप्ताहिक ई-नीलामी के जरिए कुल 45 लाख टन गेहूं बेचने को कहा गया है, ताकि गेहूं और गेहूं आटे की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाई जा सके।
बिहार में गेहूं की जल्दी बुवाई हुई है और वहां फसल अनाज बनने/परिपक्वता के चरण में है, जिस पर गर्मी का अपेक्षाकृत कम प्रभाव हो सकता है।
उन्होंने कहा कि किसान को तब कदम उठाना है, जब मार्च के मध्य में कहीं तापमान 35 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाए। ऐसे में एहतियात के तौर पर सिंचाई करनी चाहिए।
आईआईडब्ल्यूबीआर ने अपनी सलाह में किसानों को गेहूं की फसल में आवश्यकता के अनुसार हल्की सिंचाई करने को कहा है। परामर्श के अनुसार, तेज़ हवा के मौसम में सिंचाई बंद कर देनी चाहिए, जिससे उपज में कमी आ सकती है।
सरकार ने फैसला किया है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 20 लाख टन अतिरिक्त गेहूं खुले बाजार में लायेगा।
चालू वित्त वर्ष में भी, पहले दस महीनों में अनाज की कीमतें सालाना आधार पर काफी बढ़ी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां गेहूं और धान की कीमतें 8-11 फीसदी बढ़ी हैं, वहीं मक्का, ज्वार और बाजरा की कीमतें 27-31 फीसदी बढ़ी हैं।
देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने के लिए, सरकार द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार, एफसीआई केंद्रीय पूल स्टॉक से कुल 30 लाख टन गेहूं स्टॉक को ओएमएसएस के तहत विभिन्न मार्गों से बाजार में जारी कर रहा है।
Modi Government: देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों को काबू में रखने के लिये मंत्रियों के समूह द्वारा की जाने वाली सिफारिशों के अनुपालन में एफसीआई ई-नीलामी के लिये गेहूं की पेशकश कर रहा है।
थोक मूल्य 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर लगभग 2,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है, जबकि खुदरा मूल्य 3,300-3,400 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2,800-2,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है।
फसल वर्ष 2022-23 के रबी सत्र में सभी रबी फसलों का कुल बुवाई रकबा एक साल पहले की समान अवधि के 697.98 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 720.68 लाख हेक्टेयर हो गया है।
घरेलू बाजार में मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं की बिक्री की प्रगति पर बृहस्पतिवार को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में यह बात कही गई।
बजट पेश होने में महज एक हफ्ते से भी कम समय बचे हैं। सभी सेक्टर्स को इससे बेहतर की उम्मीद हैं, लेकिन उससे पहले किसान को लेकर आई इस रिपोर्ट ने हैरान कर दिया है।
गेहूं की कीमतें थोक बाजार में 31 रुपये के पार निकल गई हैं वहीं आटा 38 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुंच गया है। कीमतों को थामने के लिए सरकार अब मिलों को सस्ता गेहूं बेचने जा रही है।
गेहूं की कीमतों का असर सीधे आटे की कीमतों पर पड़ रहा है। आटे की कीमत गेहूं से ज्यादा बढ़ी हैं। कारोबारियों के अनुसार आटे का भाव 19 से 20 फीसदी चढ़ चुके हैं। साल भर पहले 30 से 32 रुपये में मिलने वाला आटा 35 से 40 रुपये किलो मिल रहा है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 27 दिसंबर को गेहूं का औसत खुदरा मूल्य 32.25 रुपये प्रति किलोग्राम था।
गेहूं की फसल को लेकर एक अच्छी खबर आई है, इससे अगले साल गेहूं का आटा सस्ता होगा। ऐसे में 2023 में रोटी पर महंगाई का बोझ घट सकता है और ब्रेड के दाम भी कम हो सकते हैं।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर से शुरू हुए रबी सत्र में पिछले हफ्ते तक गेहूं खेती का रकबा तीन प्रतिशत बढ़कर 286.5 लाख हेक्टेयर हो गया।
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