रूस-यूक्रेन युद्ध के 2 वर्ष पूरे होने को हैं। अब तक रूस यूक्रेन को भले ही हरा नहीं पाया हो, लेकिन जंग में रूसी सैनिक लगातार भारी पड़ रहे हैं। यूक्रेन के 4 अहम राज्य रूसी सेना के कब्जे में हैं। ऐसे में रूस के हाथों यूक्रेन को हार से बचाने के लिए फ्रांस और जर्मनी आगे आए हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध के 2 वर्ष पूरे होने से पहले यूरोपीय संघ ने जेलेंस्की के लिए आखिरकार अपना खजाना खोल दिया है। रूसी सेना से जंग लड़ते अभावग्रस्त यूक्रेनी सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए यूरोपी संघ ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को 50 अरब यूरो का बड़ा रक्षा सहायता पैकेज दिया है। इसकी जेलेंस्की को बेहद जरूरत भी थी।
रूस से 2 वर्षों से युद्ध लड़ रहे यूक्रेन के पास अब हथियार और गोला-बारूद की भयंकर कमी हो गई है। अब उसे कोई आगे सहायता देने को तैयार नहीं है। ऐसे बुरे वक्त में फ्रांस ने एक बार फिर जेलेंस्की को मदद देने का ऐलान किया है। फ्रांस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन को मिसाइल और बमों की आपूर्ति करने का ऐलान किया है।
ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक और राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच यूक्रेन में मुलाकात हुई। इसी बीच रक्षा सौदे के साथ यूक्रेन को 2.5 बिलियन पाउंड देने का ब्रिटेन ने ऐलान किया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध लगातार जारी है। जबकि इस युद्ध का अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। यूक्रेन के पास गोला-बारूद और हथियारों की भारी कमी हो गई है। जेलेंस्की इस वजह से निराश हैं। अकेले अमेरिका की मदद से यूक्रेन अब ज्यादा दिन रूस से जंग लड़ पाने की स्थिति में नहीं है। इस बीच यूएई ने दोनों देशों में बड़ा समझौता कराया है।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग और तेज हो गई है। दो दिन पहले रूस ने 18 घंटे तक लगातार यूक्रेन के विभिन्न इलाकों में बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला करके 30 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। यह रूस की ओर से यूक्रेन पर किया सबसे बड़ा हमला था। अब यूक्रेन भी रूस से बदला लेना चाहता है।
एक बार यूक्रेन की और अधिक सहायता से इनकार के बाद अमेरिका ने फिर से जेलेंस्की को बड़ा रक्षा पैकेज दिया है। अमेरिका ने यूक्रेन को आखिरी मदद के तौर पर 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सैन्य सहायता पैकेज दिया है। ताकि यूक्रेन अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा कर सके। इससे रूस के खिलाफ यूक्रेन फिर से उठ खड़ा होगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध में 2023 में कई बड़ी घटनाएं घटी। इस वर्ष यूक्रेन युद्ध में काफी कमजोर साबित हुआ। यूरोपीय देशों समेत अमेरिका से उससे मदद मिलनी 90 फीसद तक कम हो गई। ऐसे में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और उनकी सेना का हौसला टूटने लगा। रूसी सेना यूक्रेन पर हावी होने लगी।
रूस और यूक्रेन की जंग के बीच यूक्रेन में सैनिकों की कमी का संकट खड़ा हो गया है। यही कारण है कि यूक्रेनी सेना ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को प्रस्ताव दिया है कि कम से कम 5 लाख सैनिकों की भर्ती की जाना जरूरी है।
युद्ध के भवंरजाल में बुरी तरह फंस चुके यूक्रेन का खेल अब खत्म होने वाला है। 22 महीने की जंग के बाद यूक्रेन के पास अब हथियार और गोला-बारूद की भारी कमी हो गई है। यूरोपीय संघ और अमेरिका ने उसे अब आगे मदद देने में असमर्थता जाहिर कर दी है। ऐसे में पुतिन की सेना अब यूक्रेन को जल्द अपने चंगुल में ले सकती है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन से जंग के 22 महीने बीत जाने पर कहा है कि कीव में तब तक शांति नहीं कायम होगी, जब तक मास्को अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर लेता। पुतिन ने कहा कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं होना चाहिए और उसे तटस्थ रहना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करता तो यूक्रेन में शांति नहीं आएगी।
रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच सबसे बड़ी खबर ये है कि यूक्रेन के पास हथियारों का भंडार खत्म हो चुका है। ऐसे में अब उसके बाद जंग लड़ने के लिए हथियारों और गोला-बारूद की कमी होने लगी है। लिहाजा अब जेलेंस्की की टेंशन बढ़ गई है। वह हथियार मांगने फिर से अमेरिका के पास पहुंच गए हैं।
रूस यूक्रेन में जंग के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन से मिले। इस दौरान बाइडेन ने बताया कि उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस से यूक्रेन के लिए फंड की डिमांड की। वहीं मुलाकात के दौरान जेलेंस्की ने कहा कि पुतिन के मंसूबे कभी पूरे नहीं होने देंगे।
रूस-यूक्रेन के बीच जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में पुतिन का पारा चढ़ गया है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन जंग के लंबा खिंचने के लिए नाटो और पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। जंग के 22 महीने बाद अब रूस के 22 लाख सैनिक यूक्रेन को नाको-चने चबवाने को की राह पर चलने वाले हैं।
पिछले 21 महीनों से जारी रूस और यूक्रेन की बीच जंग से अब दुनिया को थकान महसूस होने लगी है और यही वजह है कि जेलेंस्की को भरोसा दिलाने के लिए ऑस्टिन ने कीव की यात्रा की।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाने के साथ रूसी प्रेसिडेंट पुतिन को बड़ा संदेश दिया है। जेलेंस्की ने कहा कि मैं अपने सैनिकों से मिलता हूं दो देखते हूं, वह सिर्फ देश की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि यूक्रेन की जीत के लिए लड़ रहे हैं। रूस कीव चाहता था, लेकिन उसे भागना पड़ा।
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की नाटो देशों के संगठन से और मदद चाहते हैं। नाटो देशों सहित दुनियाभर के 50 से अधिक देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में जेलेंस्की भी शामिल हुए।
यूरोपीय देशों का समर्थन कम होने से यूक्रेन रूस के साथ जंग में ठंडा पड़ने लगा है। जेलेंस्की इस बात से परेशान हैं कि अब आगे उन्हें युद्धक सामग्री कैसे मिलेगी। सिर्फ अमेरिका और ब्रिटेन ही मजबूती से जेलेंस्की को समर्थन दे रहे हैं। बाकी देश अब सोचने लगे हैं कि आखिर जेलेंस्की को कब तक वह हथियार देते रहेंगे।
यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से फिर हथियार हासिल करने के बाद हमलावर हो गया है। रूसी दावे के अनुसार यूक्रेन ने सीमा क्षेत्रों में अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया है। हालांकि रूसी सेना का दावा है कि उसने यूक्रेन के 31 ड्रोनों को मार गिराया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के 18 महीने बीत जाने के बाद जेलेंस्की को फिर हथियारों और गोला-बारूद की भारी मात्रा में जरूरत है। हथियारों की कमी से जेलेंस्की का हौसला टूटने लगा है। इसलिए वह फिर यूरोपीय देशों से समर्थन जुटा रहे हैं। ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने सहयोगी देशों से जेलेंस्की को हथियार देने की अपील की है।
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