मौलाना रहमानी ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अयोध्या में सेना तैनात करने की जो मांग की है, वह गलत नहीं है।
फारूकी ने कहा कि अगर बातचीत होनी है तो उसमें केन्द्र सरकार को मध्यस्थता करनी चाहिये, या फिर सिर्फ पक्षकार ही बैठकर बात करें, इधर-उधर के लोग नहीं।
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के समर्थन में रविवार को विश्व हिंदू परिषद की धर्म सभा हो रही है।
अयोध्या में 25 नवंबर को संघ परिवार के प्रस्तावित धर्मसभा से पहले पूरे अयोध्या में खौफ का साया है। मुस्लिम बहुल इलाकों में लोग बेहद डरे हुए हैं। उन्हें साल 1992 की याद सताने लगी है। यही वजह है कि वो अपने घर तक छोड़कर दूसरी जगहों पर जा रहे हैं
वहीं शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने यह कहकर माहौल और गर्मा दिया है कि जब बाबरी मस्जिद को 17 मिनट में ढहाया जा सकता है, तो फिर मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने में इतनी देरी क्यों हो रही है।
वीएचपी का दावा है कि 25 नवंबर को अयोध्या में दो लाख से भी ज्यादा भीड़ जुटेगी। विश्व हिंदू परिषद की धर्म सभा अयोध्या के बड़ा भक्तमाल की बगिया में होने वाली है। धर्मसभा वाली जगह पर तैयारियां बड़े जोर-शोर से हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि 25 नवंबर को अयोध्या में विहिप 'धर्म सभा' का आयोजन कर रही है और उनका दावा है कि इस कार्यक्रम में करीब एक लाख लोग हिस्सा लेंगें
सूत्रों की मानें तो तोगडिया को हटाने का निर्देश राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से वीएचपी के लिए जारी किए गए हैं। वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया और वीएचपी के अध्यक्ष राघव रेड्डी का कार्यकाल पिछले साल दिसम्बर में ही ख़त्म हो गया था।
आरएसएस राघव रेड्डी की जगह वी. कोकजे को अध्यक्ष बनाना चाहता था, लेकिन तोगड़िया और उनके समर्थकों ने हंगामा करके चुनाव को नहीं होने दिया था। इसी के चलते नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका। पिछले महीने नागपुर में संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में प्रवीण तोगड़िया और राघव रेड्डी को संघ नेतृत्व ने साफ़ कर दिया था कि दोनों को अपने पद छोड़ने पड़ेंगे।
राम राज्य रथयात्रा अयोध्या के करसेवकपुरम से शुरू होगी। ये वो जगह है जहां 1990 के दशक में वीएचपी ने एक वर्कशॉप की स्थापना की थी। यहां आज भी मजदूर राम मंदिर के निर्माण के लिए खंभे तैयार कर रहे हैं।
पच्चीस साल पहले आज ही के दिन ये विवादित ढांचा ढहा दिया गया। इन पच्चीस सालों में सरयू में न जाने कितना पानी बह गया और देश की एक पीढ़ी जवान हो गई लेकिन इस ढांचे कि गिराए जाने से जो धूल का गुबार उठा वो आज तक नीचे नहीं बैठ पाया। 6 दिसंबर 1992 की शाम से ल
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