राजस्थान के उदयपुर में चाकूबाजी की घटना के बाद माहौल बिगड़ गया। प्रशासन ने अगले आदेश तक स्कूल और कॉलेजों में छुट्टी का आदेश जारी कर दिया है।
मौलाना तौकीर रजा ने कहा कि ये सही वक्त है कि बांग्लादेश को हिंदुस्तान में शामिल कर लेना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों में अपने मुल्क की एकता और अखंडता को लेकर बेचैनी है।
बांग्लादेश में हिंसा के बाद सियासी तख्तापलट के आरोपों को लेकर अमेरिका ने पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि इसमें हमारा कोई हाथ नहीं। बता दें कि शेख हसीना ने कहा था कि इसमें अमेरिका का हाथ हो सकता है।
बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार बन चुकी है और मोहम्मद यूनुस इस सरकार के मुखिया मनोनीत हुए हैं। अब कोर्ट ने उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में बड़ी राहत दी है। जानिए क्या था केस?
बांग्लादेश में आंदोलन और हिंसा के बाद शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया और अब अंतरिम सरकार का गठन हो गया है। इस बीच शेख हसीना ने बड़ा आरोप लगाया है और कहा है कि मुझे सत्ता से हटाने के लिए साजिश रची गई।
बांग्लादेश में फैली अशांति के बीच असम पुलिस ने भी बॉर्डर के इलाके में निगरानी तेज कर दी है। किसी भी तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए पुलिस भी हाई अलर्ट है।
बांग्लादेश में हिंसा अबतक जारी है। गोपालगंज इलाके में पूर्व पीएम शेख हसीना की देश वापसी हो, इस मुद्दे को लेकर हिंसा और प्रदर्शन के बीच भीड़ ने सेना पर हमला कर दिया। इस हमले में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।
बांग्लादेश में हुई हिंसा और प्रदर्शन से एक तरफ जहां सियासत में बड़ी उथल-पुथल देखी गई वहीं देश में रह रहे हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को भी निशाना बनाया गया। इसपर अब अंतरिम सरकार के नेता मोहम्मद यूनुस ने बड़ी बात कही है।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले रुकने का नाम ले रहे। इससे संयुक्त राष्ट्र भी नाराज हो गया है। यूएन ने बांग्लादेश में हो रहे खून-खराबे के दौरान अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले को चार्टर के खिलाफ बताया है।
बांग्लादेश में जब से आरक्षण की मांग को लेकर छात्रों का प्रदर्शन हिंसा में बदला है, बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार बढ़ता चला गया। वहां पैदा हुई अराजकता की स्थिति में बांग्लादेश-भारत जोड़ने वाले बॉर्डर पर बीएसएफ द्वारा सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
ब्रिटेन में जारी हिंसा और उपद्रव के बीच भारत ने अपनी नौसेना का एक युद्धपोत लंदन भेजा है। प्रधानमंत्री नेंद्र मोदी ने इस जंगी जहाज के साथ कई सदस्यों का दल भी भेजा है। पीएम मोदी ने समस्तु वसुधैव कुटुंबकम का संदेश दिया है
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने शपथ ग्रहण कर लिया है। मगर क्या अब पश्चिम बंगाल में हिंसा और खून-खराबे का दौर थम जाएगा, क्या बांग्लादेश में शांति आ जाएगी? यह सभी ऐसे सवाल हैं, जिसका कुछ दिनों के लिए इंतजार करना होगा।
बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने अपने देश के लोगों की सुरक्षा का जिम्मा लेने का आह्वान किया है। उन्होंने युवाओं से देश निर्माण में उनका साथ देने की अपील भी की है। साथ ही कहा है कि देश में कहीं पर भी और किसी भी व्यक्ति पर कोई हमला न किया जाए।
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के शपथ ग्रहण समारोह होने से पहले भारतीय विदेश मंत्रालय का अहम बयान सामने आया है। भारत ने कहा है कि बांग्लादेश के लोगों का हित हमारे लिए सबसे जरूरी है।
हसीना के बेटे जॉय ने कहा, ‘‘मां देश छोड़ने को तैयार नहीं थीं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा टीम अंत तक उनकी सुरक्षा के लिए तैयार थी, लेकिन इससे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत हो जाती जो प्रधानमंत्री आवास की ओर मार्च कर रहे थे। हमने बांग्लादेश की खातिर उन्हें (हसीना) मना लिया। हम उन्हें मरने नहीं देना चाहते थे।
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन से पहले इसके प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने भारत के साथ संबंधों और सार्क संगठन को लेकर बड़ा बयान दिया है। इससे यह तय होने वाला है कि बांग्लादेश की विदेश नीति अब किस तरह से बदल जाएगी।
बांग्लादेश में तख्तापलट और हिंसा के बीच भारत के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने पत्र लिखकर ढाका से पूछा है कि क्या पूर्व पीएम शेख हसीना ने प्रत्यर्पण योग्य कोई अपराध किया था, अगर हां तो उसकी जानकारी दें। साथ ही यह भी कहा कि हिंदुओं को निशान न बनाएं।
डेली स्टार’ ने ‘जोलर गान’ के संस्थापक सदस्यों में से एक सैफुल इस्लाम के हवाले से बताया कि भीड़ ने आवास का मुख्य प्रवेश द्वार तोड़ने के बाद तोड़फोड़ और लूटपाट शुरू कर दी और फर्नीचर, शीशों से लेकर कीमती सामान तक लूट ले गए। भीड़ ने राहुल आनंद के 3,000 संगीत वाद्य यंत्रों के साथ पूरे मकान को आग के हवाले कर दिया।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले जारी हैं। इसके खिलाफ अब 'ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश' ने आवाज उठाई है।
बांग्लादेश में भीषण हिंसा और अराजकता के बीच भारतीय उच्चायोग के सामने कठिन चुनौतियां हैं। इसके बावजूद भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उच्चायोग के राजनियक रात-दिन काम कर रहे हैं। हालांकि गैर जरूरी सेवाओं में कार्यरत कर्मचारी स्वदेश लौट आए हैं।
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