लाभांश निर्धारित तारीख के भीतर डिस्ट्रीब्यूट किया जाएगा। पिछले 12 महीनों में, वेदांता ने प्रति शेयर ₹46 का लाभांश घोषित किया है, जिसके परिणामस्वरूप 8.96% का डिविडेंड हासिल हुआ है। वेदांता को लगातार और हाई डिविडेंड देने के लिए जाना जाता है।
वेदांता ने शेयर बाजार एक्सचेंजों को दी जानकारी में बताया कि कंपनी ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए दिए जाने वाले इस चौथे अंतरिम डिविडेंड के लिए रिकॉर्ड डेट फिक्स कर दिया है। कंपनी ने बताया कि इस चौथे अंतरिम डिविडेंड के लिए मंगलवार, 24 दिसंबर को रिकॉर्ड डेट के तौर पर फिक्स किया गया है।
कंपनी 2025 में 12 लाख टन की उत्पादन क्षमता का लक्ष्य लेकर चल रही है। 2026 में 13.5 लाख और 2027 में 18 लाख टन की उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है।
वेदांता ने उदयपुर क्षेत्र के आसपास गैर-लाभकारी आधार पर लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए पांच करोड़ रुपये से अधिक की लागत से एक औद्योगिक पार्क स्थापित करने की भी घोषणा की।
सीईओ अरुण मिश्रा ने कहा कि हिंदुस्तान जिंक के विभाजन के सिलसिले में सरकार के साथ बातचीत बहुत अच्छी रही। अरुण मिश्रा ने कहा, ‘‘ तो अब सरकार विभाजन की चर्चा पर वापस आएगी। हां, हमने फिर से चर्चा की है। अब तीन हिस्सों के बजाय दो हिस्से होंगे। ’
कंपनी के एक सीनियर अधिकारी ने बुधवार को कहा कि वेदांता लिमिटेड ने कर्जदाताओं से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के सामने अपने बंटवारे के प्लान के लिए आवेदन दायर किया है।
वेदांता लि. को अपने कारोबारों को अलग करने के प्रस्ताव के लिए 75 प्रतिशत सुरक्षित कर्जदाताओं से मंजूरी मिल गई है। कारोबार को अलग करने से कंपनी की कॉरपोरेट संरचना को सरल बनाने में मदद मिलेगी।
इससे पहले कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने मई में 11 रुपये प्रति इक्विटी शेयर का पहले अंतरिम डिविडेंड के लिए कुल 4,089 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे। इसके बाद 26 जुलाई को 4 रुपये प्रति इक्विटी शेयर (कुल 1564 करोड़ रुपये) के दूसरे अंतरिम डिविडेंड को मंजूरी दी गई थी।
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वेदांता का शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 54 प्रतिशत बढ़ा जबकि तिमाही आधार पर ये दोगुने से ज्यादा 5,095 करोड़ रुपये हो गया। कंपनी ने लांजीगढ़ में अबतक का सबसे ज्यादा एल्युमिना उत्पादन दर्ज किया और जिंक इंडिया यूनिट में धातु उत्पाद का खनन किया।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को अपने एक आदेश में खनिज समृद्ध राज्यों को ये मंजूरी दी कि वे 1 अप्रैल, 2005 की तारीख से खनिज अधिकारों और खनिज-युक्त जमीन पर रॉयल्टी और टैक्स पर बकाया राशि की मांग रख सकते हैं।
मंगलवार को हिंदुस्तान जिंक के शेयर आज दोपहर 12.31 बजे 8.25 रुपये (1.66 प्रतिशत) की बढ़त के साथ 504.00 रुपये के भाव पर ट्रेड कर रहे थे। सोमवार को कंपनी के शेयर 495.75 रुपये के भाव पर बंद हुए थे और मंगलवार को बिना किसी बदलाव के इसी भाव पर खुले।
संस्थागत निवेशकों के लिए 4.62 करोड़ शेयर निर्धारित किए गए थे जबकि कुल संस्थागत खरीद 6.36 करोड़ शेयरों की हुई। वेदांता ने बीएसई को दी सूचना में कहा कि 16-19 अगस्त तक चली ओएफएस प्रक्रिया के बाद हिंदुस्तान जिंक में वेदांता की शेयरहोल्डिंग अब घटकर 63.42 प्रतिशत रह गई है।
हिंदुस्तान जिंक के ओएफएस को पहले ही दिन 1.23 गुना यानी 137.39 प्रतिशत सब्सक्रिप्शन मिल गया। कंपनी को सब्सक्रिप्शन के लिए 486 रुपये प्रति शेयर के लोअर प्राइस रेंज के मुकाबले 494.54 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बोलियां मिलीं हैं।
ये स्पेशल डिविडेंड, हिंदुस्तान जिंक द्वारा हर साल दिए जाने वाले करीब 6000 करोड़ रुपये के नियमित डिविडेंड से अलग होगा। सरकार के अलावा, हिंदुस्तान जिंक के प्रोमोटर वेदांता लिमिटेड को भी जबरदस्त फायदा होगा, जिसके पास कंपनी में लगभग 65 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
इस पहल का उद्देश्य रीफाइनेंसिंग रिस्क और वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड से डिविडेंड पर निर्भरता को कम करना है। वेदांता लिमिटेड ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून 2024 तिमाही में 3,606 करोड़ रुपये का एकीकृत नेट प्रॉफिट अर्जित किया।
शेयरधारकों के पास फिलहाल वेदांता लिमिटेड के जितने शेयर हैं, उनमें से हर शेयर पर उन्हें नई लिस्टेड कंपनियों का एक-एक शेयर अतिरिक्त रूप से मिलेगा। कंपनी ने भारत में 35 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है और वह विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
स्टील बिजनेस की बिक्री के बारे में पूछे जाने पर अनिल अग्रवाल ने कहा कि सही कीमत मिलने पर ही इस बारे में सोचा जाएगा। समूह के इस्पात कारोबार के मार्च, 2024 तक बिकने की अटकलें थीं।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने समूह में अपनी हिस्सेदारी 1.2 प्रतिशत बढ़ा दी। विभाजन योजनाओं, कर्ज कम करने की कोशिश और धातुओं की बढ़ती कीमतों के कारण वेदांता के शेयर हाल में तेजी से चढ़े हैं।
इस समय भारत में कंपनियां अपनी डिस्प्ले जरूरतों के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर हैं। इनोलक्स ने कहा है कि सरकार की मंजूरी मिलने के बाद 18 से 24 महीनों में भारत में एलसीडी डिस्प्ले का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘एक मामले में, वेदांता ने यह सुनिश्चित करने के लिए दबाव डाला कि खनन कंपनियां नई पर्यावरणीय मंजूरी के बिना 50 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन कर सकें।’
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