वास्तु शास्त्र के अनुसार वायव्य कोण, यानी उत्तर-पश्चिम दिशा में फर्श के लिये सफेद रंग का चुनाव करना बेहतर होता है। इससे व्यक्ति की मानसिक शक्ति का विकास होता है।
काली कंबली देवी मंदिर हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित है। मान्यता है कि देवी ने काली कबंली वाले बाबा को वरदान दिया था कि वो यहां विराजमान होकर भक्तों का कल्याण करेंगे। इसलिए इस मंदिर को सिद्धपीठ माना जाता है।
भरणी नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह त्रिकोण आकृति को माना जाता है। इसका संबंध आंवले के पेड़ से बताया गया है। लिहाजा जिसका जन्म इस नक्षत्र में हुआ है उन्हें आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा का संबंध लाल रंग से है। अतः इस दिशा में लाल रंग के मार्बल का यूज़ करना आपके लिए बेहतर रहेगा।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर या ऑफिस के दक्षिण-पश्चिम दिशा में येलो कलर का मार्बल लगवाना शुभ होता है।
आचार्य इंदु प्रकाश के मुताबिक अगर आपके घर की दीवारों का रंग बहुत गहरा है तो आपको अपने घर के फर्श के लिए व्हाइट या ऑफ व्हाइट मार्बल चुनें। इससे घर में कलर बैलेंस ठीक बना रहता है। साथ ही इससे घर के लोग कई तरह के नुकसान से भी बचे रहते हैं।
पानी लकड़ी का पोषक है। दक्षिण-पूर्व दिशा में थोड़ी-बहुत मात्रा में काला रंग करवाने से दक्षिण-पूर्व से जुड़े तत्वों को मदद मिलेगी।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, अपने हस्ताक्षर में कुछ बदलाव करके आप अपनी वित्तीय समस्याओं से आसानी से निजात पा सकते हैं। अगर आप खूब पैसा कमाते हैं लेकिन बचत एक रूपये की भी नहीं होती तो अपने हस्ताक्षर के नीचे एक सीधी लाइन बनाते हुए उसके नीचे दो बिंदु लगाने शुरू कर दीजिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार दशहरे के दिन अपराजिता देवी की पूजा की जाती है। इसके लिए दोपहर बाद ईशान कोण, यानी उत्तर-पूर्व दिशा में जाकर साफ-सुथरी भूमि पर गोबर से लीपना चाहिए और उसी जगह पर चंदन से आठ पत्तियों वाला कमल का फूल बनाना चाहिए।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक महाअष्टमी के दिन कुमारिका भोजन कराने के बारे में। निर्णयसिंधु और दुर्गार्चन पद्धति में कुमारिका भोजन का विधान बताया गया है। कुमारी भोजन के पांच हिस्से हैं- पहला आयी हुयी कन्याओं के हाथ-पैर धुलाना, फिर उनके मस्तक पर टीका लगाना, उनका नीराजन करना, उन्हें भोजन कराना, उन्हें दक्षिणा देना और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना।
वास्तु के अनुसार नैवेद्य को धातु, यानि सोने, चांदी या ताम्बे के, पत्थर, यज्ञीय लकड़ी या मिट्टी के पात्र में चढ़ाना चाहिए। चढ़ाया हुआ नैवेद्य तत्काल निर्माल्य हो जाता है और उसे तुरंत उठा लेना चाहिए। प्रसाद को खाना चाहिये और यथा संभव बांटना भी चाहिए।
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा के दौरान अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। इनमें से भी पूर्व दिशा में मुख करके पूजा-अर्चना करना श्रेष्ठ रहता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार अखंड ज्योति की स्थापना के लिए आग्नेय कोण, यानि दक्षिण-पूर्व दिशा का चुनाव करना सबसे अच्छा माना जाता है।
नवरात्र के हर दिन का एक अलग महत्व होता है और पहले दिन देवी मां की घटस्थापना की जाती है। जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार कलश स्थापना के लिए किस दिशा का चुनाव करना चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार अध्ययन कक्ष के लिए हल्के रंगों का प्रयोग करना बेहतर होता है। ये बच्चों की अध्ययन क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में टूटे व दरार वाले बर्तनों को कभी भी जगह नहीं देनी चाहिए। ऐसे बर्तनों में खाना खाने से घर में दरिद्रता बढ़ती है।
हम कर्ज ले तो लेते हैं, परंतु उसे चुका नहीं पाते। चाहे कितनी ही कोशिश कर लें, फिर भी कुछ न कुछ चुकाना बाकी ही रह जाता है। इसलिये जानिए कर्ज के बोझ से कैसे बचें।
घर के मुख्य द्वार के सामने किसी भी प्रकार की रुकावट या कोई अवरोध हो तो यह आपके लिए समस्या खड़ी कर सकता है।
गर्भवती महिला के कमरे में या जिनके घर में अभी-अभी नये मेहमान का आगमन हुआ है, उन्हें अपने कमरे में मोर पंख जरूर रखना चाहिए। जानिे अन्य चीजों के बारे में।
अगर घर या दुकान में हमेशा मकड़ी के जाले लगे रहते हैं तो उन्हें तुरंत हटा दें और आगे से साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। जानिए कारण
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