RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि अगर अमेरिकी कंपनी Apple, IBM, Cisco ने टैलंट पर जोर नहीं दिया होता तो वो आज इन बड़े मुकाम को कैसे हासिल कर पाती।
सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इंफोसिस ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी उद्योग को अमेरिकी वीजा मुद्दों से जूझते हुए ही आगे बढ़ना होगा।
मोहनदास पई का कहना है कि अमेरिका में एच1-बी वीजा के नियमों को कड़ा किया जाना, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी आईटी कंपनियों के लिए छुप हुआ वरदान है।
भारत ने अमेरिकी वीजा प्रणाली में निश्चितता पर जोर दिया है। सीतारमण ने कहा कि इस मुद्दे पर अमेरिकी सांसदों के प्रतिनिधि मंडल के साथ विस्तार से चर्चा हुई है।
अमेरिका ने भारत को आश्वासन दिया कि वह Visa शुल्क में बढ़ोतरी के बारे में उसकी चिंताओं पर विचार करेगा। भारत ने भेदभावरहित खत्म करने की मांग की थी।
संसद में एक नया बिल पेश किया है, जो भारतीय कंपनियों को H-1B और एल-1 वर्क वीजा पर आईटी प्रोफेशनल्स को भर्ती करने से रोकेगा।
अमेरिका जाने के लिए भारतीयों के बीच दीवानगी बढ़ती जा रही है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि लोग वीजा के लिए 3.3 करोड़ तक देने को तैयार हैं।
एच1बी वीजा हासिल करना अब मुश्किल होने जा रहा है। अमेरिकी युवाओं के लिए नौकरी के मौके बचाने के लिए अमेरिकी सांसदों ने कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है।
प्रमुख भारतीय कंपनियों को पिछले दिसंबर से प्रभावी नए नियमों के तहत सभी एच-1बी वीजा आवेदनों के लिए कम से कम अतिरिक्त 4,000 डॉलर का भुगतान करना होगा।
अमेरिकी सरकार को H-1B Visa के लिए करीब 2.50 लाख आवेदन मिले हैं। इनमें ज्यादातर भारतीय कंपनियों या फिर भारत में काम करने वाली कंपनियों ने एप्लाई किया है।
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