पीएम मोदी के नए भारत के सपनों की उड़ान का अब अमेरिका भी साथी बनने जा रहा है। न्यूयॉर्क में अमेरिका की दिग्गज कंपनियों के सीईओ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद भारत में निवेश को इतने लालायित हैं कि उसके बारे में सुनकर ही चीन को चक्कर आए जाएगा। अमेरिकी कंपनियों का यह कदम चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
ऑफिशियल प्रेस रिलीज के अनुसार, प्रतिनिधिमंडल को फ्यूचर सिटी, एआई सिटी के निर्माण, मूसी नदी के पुनरुद्धार समेत अलग-अलग प्रमुख पहलों के लिए बड़े लेवल पर समर्थन मिला। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने एप्पल, गूगल, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के साथ भी बातचीत की।
अमेरिका और चीन में एक बार फिर ठन गई है। दोनों देशों के संबंध दोबारा तनावपूर्ण हो गए हैं। चीन ने 5 अमेरिकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाकर जो बाइडेन को बड़ा झटका दिया है। हालांकि नवंबर 2023 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने बीजिंग का दौरा कर दोनों देशों के संबंधों में घुली कड़वाहट दूर करने का प्रयास किया था।
कोरोना वायरस संकट के दौरान चीनी सरकार के अमेरिकी कंपनियों के आक्रामक अधिग्रहण को रोकने के लिए वॉशिंगटन में संसद की प्रतिनिधि सभा में विधेयक पेश किया गया।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के H-1B वीजा आवेदनों मेंइस बार आश्चर्यजनक गिरावट आई है। इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कड़े आव्रजन रुख से विदेशी पेशेवर भी अमेरिकी कंपनी में आने से कतरा रहे हैं।
भारत में आम बजट पेश होने से पहले अमेरिका के कारपोरेट जगत ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से अनुरोध किया है कि वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों और सांस्थानिक निवेशकों के लिए कर अनिश्चतता को कम करने की दिशा में काम करें।
अमेरिकी कंपनियों को एच1-बी प्रोग्राम का दुरुपयोग कर विदेशों से जॉब आउटसोर्स करने से रोकने वाला बिल निचले सदन प्रतिनिधि सभा में दोबारा पेश किया गया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों के सीईओ को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि कंपनियां दूसरे देशों में जाती हैं तो उन पर भारी टैक्स लगेगा।
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