भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ठोस सुधार की कड़ी वकालत की है। भारत का कहना है कि बार-बार स्थाई सदस्यता में सुधार की मांग उठाए जाने के बावजूद परिषद की ओर से 1965 से अब तक टाल-मटोल होता आ रहा है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार पर जोर दिया। इसके साथ ही देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान होने का मुद्दा उठाया।
भारत, सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए वर्षों से किए जा रहे प्रयासों में अग्रणी रहा है तथा उसका कहना है कि 1945 में स्थापित 15 देशों की परिषद 21वीं सदी के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उपयुक्त नहीं है। उसका मानना है कि यह समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की न्यूयॉर्क में होने वाली बैठक से पहले अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार प्रस्ताव को पेश करके यह साफ कर दिया है कि इस महासम्मेलन में बहस का सबसे बड़ा मुद्दा भारत जैसे देशों को स्थाई सदस्यता देने का ही रहने वाला है। अमेरिका ने भारत का समर्थन किया है।
इजराइल और हमास के बीच जंग रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब जंग कब और कैसे खत्म होगी यह हमास के रुख पर निर्भर करता है।
भारत को लंबे समय से यूएनएससी में स्थाई सदस्यता की दरकार है। मगर चीन हर बार रोड़े अटकाता रहा है। लिहाजा भारत समेत कई देशों ने अब यूएनएससी पर सुधार का दबाव बनाया है। भारत ने मजबूती से स्थाई सदस्यता के लिए अपनी दावेदारी पेश की है।
’ भारत ने इस बात पर जोर दिया कि आमसभा में जो विचार-विमर्श हो, वह समावेशी होना चाहिए और हर सदस्य देश को समान रूप से भागीदारी की अनुमति हो। माथुर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के एजेंडे को इस तरह बनाया जाना चाहिए कि इसमें होने वाली चर्चा और अधिक सूचना युक्त तथा प्रभावी हो।
संयुक्त राष्ट्र में भारत ने चीन का नाम लिए बगैर उसे सबके सामने फिर आईना दिखाया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने ढुलमुल रवैये के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कार्यशैली को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया। इससे पहले भी भारत स्थाई सदस्यता को लेकर कई बार यूएन में गरज चुका है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर मे मंगलवार को बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट जरूर मिलेगी। पूरी दुनिया में इस बात को लेकर भावना बढ़ रही है।
इजराइल और हमास के बीच जंग लगातार जारी है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक और पहल की है। सुरक्षा परिषद मुस्लिमों के पवित्र महीने रमजान के दौरान गाजा में मानवीय संघर्ष विराम की मांग वाले प्रस्ताव पर मतदान करने के लिए तैयार है।
भारत और ब्राजील के बीच नई दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने को लेकर टू प्लस टू वार्ता हुई। इसमें रक्षा और विदेश मंत्रालय के सचिव शामिल रहे। इस वार्ता को भारत और ब्राजील के बीच गहरी होती दोस्ती का अहम आधार माना जा रहा है। दोनों ही देश यूएनएससी में स्थाई सदस्यता के भी प्रबल दावेदार हैं।
संघर्ष रोकने के संबंध में एक प्रस्ताव ब्रिटेन ने सुरक्षा परिषद में पेश किया जिसमें 15 सदस्यीय परिषद में से 14 देशों ने समर्थन में मत डाला और केवल रूस इस दौरान मौजूद नहीं था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर भारत ने जी-4 देशों का विस्तृत मॉडल पेश किया है। इसे भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील की ओर से तैयार किया गया है। इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई और गैर-स्थाई सदस्यों की संख्या और नियमों में सुधार की बात कही गई है।
जापान की यात्रा पर गए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने संबोधन में संयुक्त राष्ट्र को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कि दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश को यूएन में स्थाई प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
गाजा में सीजफायर को लेकर अमेरिका द्वारा विरोध में वीटो करने पर मुस्लिम देश भड़क उठे हैं। इसी बीच सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने भारत की यूएन में स्थाई दावेदारी का समर्थन किया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता को लेकर भारत ने फिर यूएनएसी को फटकार लगाई है। भारत ने कहा है कि कब तक 188 देशों की आवाज को दबाते रहेंगे। यूएनएससी में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कांबोज ने स्थाई सदस्यता का मुद्दा उठाया।
रूस और यूक्रेन की जंग को दो साल होने को हैं लेकिन जंग का कोई हल निकलता नहीं दिखाई दे रहा है। इसी बीच यूएन में रूस ने पश्चिमी देशों पर इस जंग को थोपने का आरोप लगाया है।
अमेरिका के परंपरागत प्रतिद्वंद्वी रूस ने पहली बार खुलकर अमेरिका पर आरोप लगाया है। मिडिल ईस्ट में चल रही जंग में अमेरिका की आक्रामक भूमिका पर जानिए रूस ने अमेरिका को किस बात के लिए कटघरे में खड़ा किया है?
बीते लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार और संशोधनों को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि, अब तक इसमें कोई भी बदलाव नहीं आया है। अब दिग्गज कारोबारी एलन मस्क नमे भी इस मामले में बड़ा बयान दिया है।
उत्तर कोरिया की ओर से लगातार किए जा रहे बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों और धमकियों से परेशान दक्षिण कोरिया ने अब इस मामले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से ठोस कदम उठाने की मांग की है। दक्षिण कोरिया ने किम जोंग उन के उकसावे वाले कदमों के खिलाफ अपनी चुप्पी तोड़ने की मांग की है।
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