दुनिया भर में अपनी बेबाकी के लिए जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर यूएन को खूब खरी-खोटी सुनाई। प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में 20वीं शताब्दी वाला रवैया नहीं चल सकता। पीएम मोदी ने यह बात जी-20 की नई दिल्ली में 9-10 सिंतबर को होनी वाली बैठक से पहले कही है।
दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में 6 नए देशों को इसका सदस्य बनाया गया है। इसमें अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का नाम शामिल है। पीएम मोदी ने कहा कि इन नए सदस्यों के शामिल होने से संगठन और अधिक मजबूत होगा। उन्होंने सभी नए सदस्य देशों को बधाई दी।
बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए एक नई अंतरराष्ट्रीय संस्था बनाने की अपील की।
पीएम मोदी ने फ्रांस यात्रा से ठीक पहले एक इंटरव्यू में UNSC में भारत की स्थाई सदस्यता का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सबसे बड़े लोकतंत्र वाला देश भारत ही इसका स्थाई सदस्य नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता में सुधार पर देरी किए जाने से भारत बेहद खफा हो गया है। दरअसल यूएन महासभा ने सुधार संबंधी चर्चा पर प्रस्ताव को सितंबर तक अगले सत्र के लिए टाल दिया है। वार्ता को आगे खिसकाए जाने को भारत ने जानबूझकर लटकाने वाला कदम बताया है।
इजरायल और फलस्तीन के बीच में तनाव ज्यादा बढ़ जाने और हाल के समय में हमलों की संख्या बढ़ने पर यूएन ने चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ‘यूएनएससी‘ ने इज़राइल और फलस्तीन से ऐसे कृत्यों को रोकने की अपील की है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में नए सुधार की आवश्यकता है। ऐसे में भारत जैसे दुनिया में तेजी से उभरते देशों की इस परिषद में जरूरत है। यूएन जनरल असेंबली के अध्यक्ष ने यह बड़ा बयान दिया है। यह बयान ऐसे समय आया है जब पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा शुरू हो रही है।
भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए सालों से बढ़-चढ़कर मुहिम चला रहा है। उसका कहना है कि वह स्थायी सदस्यता का हकदार है। अपने संबोधन में सिंह ने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में काम चुके या काम कर रहे सभी भारतीयों के प्रति आभार प्रकट किया।
उत्तर कोरिया की सैन्य हरकतों और इलाके में चीन की ताकतवर गतिविधियों के बीच दक्षिण कोरिया को अब ये मौका मिल सकेगा कि वह अपनी आवाज सुरक्षा परिषद में ताकत के साथ उठा सके।
चालबाज और मौकापरस्त चीन का चाल-चरित्र एक बार फिर से दुनिया के सामने आ गया है। जब-जब आतंक के खिलाफ लड़ने की बात आती है, तब-तब चीन आतंकियों के साथ ही खड़ा दिखाई देता है। इस बार फिर जब आतंकियों के खिलाफ भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ( UNSC) में प्रस्ताव लेकर आया तो भी चीन आतंकियों के पक्ष में उतर आया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सिर्फ 5 देशों को वीटो पॉवर दिए जाने और उसके राजनीतिक दुुरुपयोग को लेकर भारत आग बबूला हो गया है। भारत ने कहा है कि यूएनएसी में वीटो का इस्तेमाल नैतिक दायित्वों के आधार पर नहीं, बल्कि राजनीतिक विचारों के आधार पर किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र की बैठक में पाकिस्तान ने एक बार फिर से कश्मीर का मुद्दा उठाया, जिसका जवाब देते हुए भारत ने कहा कि बेवजह की बात कर समय बर्बाद ना करें।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की एक बैठक में कहा है कि वह सीमा पार से ड्रोन का इस्तेमाल कर अवैध हथियारों की आपूर्ति की ‘गंभीर चुनौती’ का सामना कर रहा है जो पड़ोसी देश के अधिकारियों की मदद के बिना मुमकिन नहीं है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो द्वारा कश्मीर मुद्दे पर की गई टिप्पणी का जवाब देते हुए भारत की संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने मंगलवार को उनके बयान को ‘‘आधारहीन और राजनीति से प्रेरित’’ करार दिया।
करीब 11 महीनों के भीषण संघर्ष के बाद नए वर्ष में रूस-यूक्रेन युद्ध अति घातक मोड़ पर पहुंच चुका है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के सैनिकों ने यूक्रेन में हाहाकार मचा दिया है। यूक्रेन के प्रमुख शहर सोलेडार पर कब्जे के बाद पुतिन के सैनिकों ने यूक्रेन के दूसरे इलाकों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है।
भारत ने कहा कि सभी देशों को आतंकवाद जैसे खतरों के खिलाफ एक साथ खड़े होना चाहिए और इसमें राजनीतिक लाभ के लिए दोहरे मानक शामिल न हों। रुचिरा ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहाकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कानून का शासन लागू करने के लिए राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को आतंकवाद और सीमा पार आतंकवाद से मुक्त करें।
Pakistan on Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का प्रावधान खत्म करने के बाद से ही पाकिस्तान को तेज मिर्ची लगी है। वह जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35-ए हटाए जाने के दर्द को भूल नहीं पा रहा है। यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान अक्सर अपना रोना रोता रहता है।
सुरक्षा परिषद ने तालिबान से इन प्रतिबंधों को वापस लेने की अपील करते हुए कहा कि यह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। सुरक्षा परिषद ने कहा कि इसके सदस्य इन रिपोर्टों से "बेहद चिंतित" हैं कि तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों के लिए यूनिवर्सिटीज तक पहुंच को प्रतिबंधित कर दिया है।
20 दिसंबर को, तालिबान के शिक्षा मंत्रालय ने पूरे देश में छात्राओं के लिए विश्वविद्यालय शिक्षा के अनिश्चितकालीन निलंबन की घोषणा की थी।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के बयान पर भारत ने पलटवार करते हुए करारा जवाब दिया है। पाक विदेश मंत्री के बयान को भारत ने असभ्य बताया।
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