यूक्रेन ने अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल करने के 2 दिन बाद अब ब्रिटिश क्रूज मिसाइलों से रूस पर बड़ा हमला किया है। बताया जा रहा है कि मास्को पर यूक्रेन ने एक साथ कई मिसाइलें दागीं। यूक्रेन के इस कदम से युद्ध अब एक नई दिशा में मुड़ चुका है।
यूक्रेन को लेकर अमेरिका ने नीति में बड़ा बदलाव किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को अमेरिका निर्मित लंबी दूरी की मिसाइलों के उपयोग की अनुमति दी है। समझें इसके पीछे की वजह क्या है।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग में अमेरिका एक कदम और आगे बढ़ गया है। अमेरिका ने कहा है कि वह यूक्रेन को रूस के साथ जंग में एंटी पर्सनल लैंड माइंस का इस्तेमाल करने की अनुमति देगा।
यूक्रेन ने रूस पर अमेरिका में बनी मिसाइलें दागी हैं। इस हमले के बाद रूस पलटवार कर सकता है। रूस की ओर से संभावित हमले को देखते हुए कीव में अमेरिकी दूतावास को बंद कर दिया गया है।
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालने से पहले ही जो बाइडेन ने यूक्रेन को रूस के अंदर लंबी दूरी की मिसाइलों से हमले की इजाजत देकर दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध में झोंक दिया है। ऐसे में बाइडेन पर महाभियोग लगाने की रणनीति बनाए जाने का दावा भी किया जाने लगा है।
रूस यूक्रेन के युद्ध को 1000 दिन पूरे हो गए हैं लेकिन अब यह युद्ध नया मोड़ ले सकता है। जंग के बीच जहां पुतिन ने गैर-परमाणु देशों पर परमाणु हमले की अनुमति देने वाले आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं तो वहीं यूक्रन अमेरिका की राह देख रहा है।
यूक्रेन ने रूस पर जोरदार प्रहार किया है। यूक्रेन ने रूस पर अमेरिका में बनी मिसाइलें दागी हैं। यह हमला ऐसे समय में किया गया है, जब अमेरिका ने रूस को निशाना बनाने के लिए यूक्रेन पर लंबी दूरी की मिसाइल के इस्तेमाल पर लगाया गया प्रतिबंध हटा दिया है।
रूस की ओर से यूक्रेन पर लगातार घातक हमले किए जा रहे हैं। रूस ने हाल के हमलों में रिहायशी इलाकों को भी निशाना बनाया है। रूसी हमलों में कई लोगों की मौत हुई है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक ऐसे फैसले को मंजूरी दे दी है जिससे दुनिया में परमाणु जंग का खतरा बढ़ गया है। पुतिन ने मंगलवार को एक नई परमाणु नीति पर हस्ताक्षर किए हैं।
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद यूक्रेन ने रूस पर पहला बड़ा ड्रोन हमला किया है। यह हमला मॉस्को से 200 किलोमीटर दूर एक हथियार कारखाने पर किया गया है। हालांकि इसमें हुए नुकसान का अब तक कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सका है।
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में ट्रंप की बंपर जीत के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर इस वक्त सबसे बड़ी खबर सामने आई है। रॉयटर्स ने क्रेमलिन के हवाले कहा है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप से यूक्रेन युद्ध पर वार्ता करने को तैयार हैं। बशर्ते इसके लिए उनकी पूर्ववत शर्तें लागू रहेंगी।
चीन ने उत्तर कोरिया के इस कदम पर अभी तक सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। जबकि चीन ने रूस के साथ ‘‘असीमित’’ साझेदारी स्थापित की है और वह उत्तर कोरिया का एक प्रमुख सहयोगी भी रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि बीजिंग रूस और उत्तर कोरिया के बीच घनिष्ठ सैन्य साझेदारी को शायद स्वीकार नहीं करेगा।
रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में यूक्रेन के खिलाफ उत्तर कोरियाई सैनिकों की तैनाती पर चीन की चुप्पी को लेकर व्लोदिमीर जेलेंस्की ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि रूस ने खुले तौर पर नॉर्थ कोरिया के साथ साझेदारी की है।
रूस और यूक्रेन की जंग में उत्तर कोरिया की भी एंट्री हो गई है। अमेरिका ने जंग को लेकर बड़ा दावा किया है। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि सेना की वर्दी पहनकर उत्तर कोरिया के सैनिक यूक्रेन के पास कुर्स्क क्षेत्र की ओर बढ़ रहे हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग में रूस का आक्रामक रुख देखने को मिल रहा है। रूस ने यूक्रेन के दो सबसे बड़े शहरों पर घातक हमले किए हैं। इन हमलों में कई लोगों की मौत हुई है।
उत्तर कोरिया के एक कदम ने अमेरिका की टेंशन बढ़ा दी है। दरअसल उत्तर कोरिया ने यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए करीब 10 हजार सैनिक रूस भेजे हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग में रूसी सेना को अहम बढ़त मिली है। रूस ने यूक्रेन के पूर्वी डोनेट्स्क क्षेत्र में सेरेब्रियांका और मायकोलाइवका गांवों पर कब्जा कर लिया है।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। जंग के बीच अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे हैं। इस बीच लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय यूक्रेन के साथ है।
रूस और यूक्रेन दोनों ही एक दूसरे पर हमलावर हैं। एक तरफ जहां रूस यूक्रेन में ड्रोन अटैक कर रहा है तो वहीं यूक्रेन भी रूसी इलाकों को ड्रोन से निशाना बना रहा है।
ब्रिक्स शिखर वार्ता 2024 से पहले इसकी मेजबानी कर रहे रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता की है। इस दौरान उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि ब्रिक्स का उद्देश्य किसी के खिलाफ होना नहीं है। यह पश्चिम विरोधी नहीं है। इसके लिए उन्होंने भारत का उदाहरण भी दिया।
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