सरकारी खनन कंपनी ‘सिंगरेनी कोलियरीज’ के बचावकर्मी, खनिकों के साथ मिलकर उन स्थानों पर खुदाई कर रहे हैं, जिनकी पहचान लापता व्यक्तियों के संभावित ठिकानों के रूप में की गई है। केरल पुलिस के मानव अवशेष खोजी कुत्तों से भी मदद ली गई, जबकि हैदराबाद स्थित रोबोटिक्स कंपनी के रोबोट भी अभियान में जुटे हैं।
ऑपरेटर के तौर पर काम करने वाले गुरप्रीत सिंह, 22 फरवरी को सुरंग के आंशिक रूप से ढहने के बाद अंदर फंसे आठ लोगों में से एक थे। उनका शव 10 फुट की गहराई पर गाद के नीचे दबा हुआ था। सिंह के परिवार में उनकी 13 और 16 साल की दो नाबालिग बेटियां, पत्नी राजविंदर कौर और मां दर्शन कौर हैं।
तेलंगाना की सुरंग के अंदर शुक्रवार को खोजी कुत्तों ने इंसानी मौजूदगी के दो संभावित स्थानों की पहचान की थी जिसके बाद बचावकर्मियों ने वहां का मलबा निकालना शुरू कर दिया। ये कुत्ते खास बेल्जियन मेलिनोइस नस्ल के हैं, 15 फीट की दूरी से भी इंसानी महक को पहचान लेते हैं।
सुरंग हादसे के 11 दिन हो गए हैं। अब तक सुरंग के अंदर फंसे 8 लोगों को नहीं निकाला जा सका है। घटना स्थल पर राहत एवं बचाव कार्य लगातार चलाया जा रहा है।
तेलंगाना की एक सुरंग में फंसे आठ लोगों में से चार लोगों की लोकेशन का पता लगा लिया गया है। आबकारी मंत्री ने इस बात की जानकारी दी। हालांकि उन्होंने कहा कि सुरंग फंसे लोगों के बचने की उम्मीद बहुत कम है।
एसएलबीसी सुरंग परियोजना पर काम कर रहे आठ लोग 22 फरवरी को सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद फंस गए थे। पिछले कुछ दिन से सेना, नौसेना, सिंगरेनी कोलियरीज और अन्य एजेंसियों के 500 से अधिक कुशल कर्मियों की एक टीम बचाव अभियान में शामिल थी।
तेलंगाना के नगरकुरनूल में सुरंग धंस जाने के बाद फंसे आठ लोगों को बचाने का काम किया जा रहा है। इस क्रम में अब रेलवे भी रेस्क्यू के लिए उतर गई है। रेलवे ने एक टीम के साथ मेटल कटर भी भेजा है।
एसएलबीसी सुरंग का एक हिस्सा 22 फरवरी को ढह जाने के बाद परियोजना पर काम कर रहे आठ कर्मचारी सुरंग के अंदर फंस गए थे।
तेलंगाना में सुरंग धंसने के बाद से राहत और बचाव का काम अभी भी जारी है। वहीं मामले की जानकारी देते हुए सिंचाई मंत्री ने कहा कि हालात जटिल हैं और बचाव कार्य में लगे कर्मियों की जान भी खतरे में पड़ सकती है।
तेलंगाना नागरकुरनूल जिले में सुरंग हादसे में अंदर फंसे लोगों को बटाने के प्रयास जारी हैं। हालांकि, तेलंगाना सरकार के एक मंत्री ने कहा है कि अंदर फंसे लोगों के बचने की संभावना बहुत कम है।
एनडीआरएफ की टीम सुरंग के अंदर जमा पानी को निकालने का काम कर रही है। सुरंग के अंदर चिल्लाकर फंसे मजदूरों से भी बात करने की भी कोशिश की गई है। अंदर फंसे मजदूरों का कोई जवाब नहीं आया है।
तेलंगाना के श्रीशैलम सुरंग के निर्माणाधीन हिस्से में 8 लोग फंसे हुए हैं। ऐसे में उन्हें बचाने के लिए भारतीय सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। भारतीय सेना की ईटीएफ टीम को तैनात कर दिया गया है, जो कई तरह की सुविधाओं और उपकरणों से लैस है।
तेलंगाना में एक सुरंग की छत धंस जाने की वजह से कई मजदूर उसमें फंस गए हैं। बताया जा रहा है कि हादसे के समय मजदूर अंदर थे। फिलहाल मजदूरों को बाहर निकालने का काम किया जा रहा है।
जेड-मोड़ सुरंग मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में गगनगीर और सोनमर्ग के बीच बनाई गई है। टनल के आकार की वजह से इसे Z-मोड़ कहा जाता है और इसमें दो लेन की सड़क बनाई गई है। टनल का उद्देश्य पर्यटक शहर सोनमर्ग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
PM नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के सोनमर्ग में Z-Morh टनल का उद्घाटन कर दिया है। इस सुरंग को जम्मू-कश्मीर समेत पूरे भारत के लिए पर्यटन और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
PM मोदी ने गांदरबल में सोनमर्ग टनल उद्घाटन किया है। इससे आम लोगों के साथ सेना को भी बड़ा फायदा होने की बात कही जा रही है।
पीएम मोदी के दौरे को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। बता दें कि सोनमर्ग की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों के बीच बनाई गई यह सुरंग 6.5 किलोमीटर लम्बी है। यह गगनगीर से सोनमर्ग तक जाती है।
जेड मोड टनल अमरनाथ गुफा, कारगिल और लद्दाख के अन्य हिस्सों को ठंड के मौसम में देश के बाकी हिस्से से जोड़ने में मदद करेगी। यह पर्यटन, अर्थव्यवस्था और स्थानीय युवाओं के रोजगार को भी बढ़ावा देगी।
सरकारी प्रोजेक्ट बेंगलुरु टनल रोड के DPR पर सरकार ने 9.5 करोड़ रुपये भी खर्च किए हैं। फिर भी जिस कंपनी ने रिपोर्ट बनाई उसने महाराष्ट्र के इलाकों का नाम रिपोर्ट में लिख दिया।
1956 में बनी जवाहर टनल को बीआरओ ने 62.5 करोड़ की लागत से नया रूप दिया है। 2.5 किलोमीटर लंबी यह टनल कश्मीर घाटी को लेह से जोड़ती है। इसकी मरम्मत में लगभग एक साल का समय लगा।
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