कांग्रेस ने एक बार में तीन तलाक कहने के चलन के खिलाफ संसद में लाये गए विधेयक का समर्थन करते हुए आज कहा कि इसे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए और मजबूत बनाने की जरूरत है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि तीन तलाक संबंधी विधेयक का मसौदा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों, शरियत तथा संविधान के खिलाफ है...
ट्रिपल तलाक पर कानून का कुछ लोग विरोध कर रहे हैं। केन्द्रीय कानून मंत्री का कहना है कि ट्रिपल तलाक का मुद्दा लैंगिक न्याय, लैंगिक समानता और महिलाओं की गरिमा की मानवीय अवधारणा से जुड़ा हुआ है और इसमें आस्था और धर्म का कोई संबंध नहीं है।
एक बार में तीन बार तलाक कहने को तलाक-ए-बिद्दत कहते हैं जिसके तहत लिखकर, फोन से ट्रिपल तलाक देते थे। कई महिलाओं को लेटर, व्हाट्सएप मैसेज से तलाक दिया गया। अगर पुरुष तलाक का फैसला बदलना चाहे तो नहीं कर सकता लेकिन तलाकशुदा जोड़ा फिर हलाला के बाद ही शादी
तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के खिलाफ विधेयक लाने की सरकार की तैयारी के बीच प्रमुख मुस्लिम महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने सरकार से प्रस्तावित कानून में निकाह हलाला और बहुविवाह समेत कई अन्य मुद्दों को भी शामिल करने की मांग की है...
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून बनाने का निर्देश दिया था इसलिए सरकार के पास कानून बनाने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं था। इसे धर्म के मामले में दखलंदाजी कैसे कहा जा सकता है?
मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की पैरोकारी करने वाले संगठन ‘भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन’ (BMMA) ने कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी सहित देश के प्रमुख विपक्षी नेताओं को आज चिट्ठी लिखकर आग्रह किया है कि
तीन तलाक के दर्द से मुस्लिम महिलाओं को फाइनल आज़ादी मिल गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को तीन तलाक पर एक विधेयक को मंजूरी दे दी। इस विधेयक को अब संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में पेश किया जाएगा।
एक बार में तीन बार तलाक कहने को तलाक-ए-बिद्दत कहते हैं जिसके तहत लिखकर, फोन से ट्रिपल तलाक देते थे। कई महिलाओं को लेटर, व्हाट्सएप मैसेज से तलाक दिया गया। अगर पुरुष तलाक का फैसला बदलना चाहे तो नहीं कर सकता लेकिन तलाकशुदा जोड़ा फिर हलाला के बाद ही शादी
शीतकालीन सत्र में सरकार करीब 25 नए और 14 पुराने विधेयक पेश कर सकती है। तीन तलाक़ के अलावा जीएसटी पर अध्यादेश की जगह विधेयक, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने वाला विधेयक, नागरिकता संशोधन विधेयक 2016, मोटरवाहन संशोधन विधेयक 2016 और ट्रांसजेंड
मसौदे में तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध करार देते हुए इसके दोषी को तीन साल कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही तीन तलाक देने पर पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण का खर्च भी देना होगा। गत 22 अगस्त को उच्चतम न्यायालय ने तीन तला
ट्रिपल तलाक पर प्रस्तावित कानून का कड़ा विरोध करते हुए AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि...
केंद्र की मोदी सरकार तीन तलाक को खत्म करने के लिए संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में काननू लाने जा रही है। IndiaTV को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस विधेयक का नाम The Muslim Women Protection of Rights in Marriage Act से होगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र की मोदी सरकार तीन तलाक को खत्म करने के लिए संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में काननू लाने जा रही है...
सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक बार में तीन तलाक को ‘गैरकानूनी और असंवैधानिक’ करार दिए जाने के बाद अब सरकार मुस्लिम समाज की इस प्रथा को पूरी तरह से खत्म...
तकरीबन तीन महीने पहले देश की सबसे बड़ी अदालत के फैसले के बाद ट्रिपल तलाक असंवैधानिक हैलेकिन इसके बावजूद ट्रिपल तलाक का एक मामला फिर सामने आया है.
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया। अदालत के फ़ैसले के बाद ट्रिपल तलाक असंवैधानिक हो गया, बावजूद इसके ये थमने का नाम नहीं ले रहा
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक बड़ा फ़ैसला करते हुए तय किया है कि अब निकाह के समय ही वर और वधू पक्ष के बीच यह सहमति बन जाएगी कि रिश्ते को ख़त्म करने के लिए तलाक-ए-बिद्दत का सहारा नहीं लिया जाएगा।
तलाक़ और मुस्लिम सरियत का मामला एक बार फिर गरमा गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि तीन तलाक़ वैध है हालंकि इस्लाम में इसे नापसंद माना जाता है।
एक साथ लगातार तीन बार तलाक बोलकर पत्नी को छोड़ने वाली प्रथा को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अमान्य, अवैध और असंवैधानिक बताए जाने के अगले दिन ही उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक व्यक्ति ने अपनी गर्भवती पत्नी को तलाक, तलाक, तलाक बोलकर अपने जीवन से बाहर कर दिया
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़