एक बार में तीन बार तलाक कहने को तलाक-ए-बिद्दत कहते हैं जिसके तहत लिखकर, फोन से ट्रिपल तलाक देते थे। कई महिलाओं को लेटर, व्हाट्सएप मैसेज से तलाक दिया गया। अगर पुरुष तलाक का फैसला बदलना चाहे तो नहीं कर सकता लेकिन तलाकशुदा जोड़ा फिर हलाला के बाद ही शादी कर सकता था।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने चर्चा के दौरान कहा कि ट्रिपल तलाक बिल किसी के खिलाफ नहीं, ये गलतियां दूर करने का ऐतिहासिक मौका है।
लोकसभा में तीन तलाक़ बिल पर चर्चा शुरू, विपक्षी पार्टियों ने बिल को स्टैंडिंग कमेटी में भेजने की मांग की
देश की सियासत में एक बार फिर से ट्रिपल तलाक का मुद्दा छाया हुआ है। इस मुद्दे पर संसद से लेकर सड़क तक बहस भी हो रही है।
लोकसभा में ट्रिपल तलाक़ पर चर्चा आज, बिल को स्टैंडिंग कमेटी में भेजना चाहती है कांग्रेस
मुस्लिम समाज से जुड़ी प्रथा एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के मकसद से लाए गए विधेयक को लोकसभा में पास कर दिया गया है
मोदी सरकार के द्वारा अध्यादेश लाए जाने के बावजूद ट्रिपल तलाक का एक और मामला सामने आया है।
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 का मकसद विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकार की रक्षा करना है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को कहा कि तीन तलाक पर संसद में कानून बनाए जाने की स्थिति में वह इसे अदालत में चुनौती देगा।
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संसद का अगले सप्ताह शुरू होने वाला शीतकालीन सत्र हंगामेदार रहने के आसार हैं। सत्र के दौरान सरकार तीन तलाक, उपभोक्ता संरक्षण, चिट फंड, डीएनए, गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम जैसे विधेयकों सहित करीब तीन दर्जन विधेयक पारित कराना चाहती है।
आरोपी की पत्नी 22 सितंबर को जब अपने माता-पिता के घर पर थी तो मुंशी ने उन्हें तलाक का नोटिस भेजा। नोटिस पर मुंशी, उसके वकील और दो गवाहों के दस्ताखत थे
आरोप है कि हलाला किसी और से नहीं बल्कि देवर से ही करवाए जाने का दबाव है
प्रधानमंत्री ने कहा कि मानव अधिकारों के प्रति समर्पण ने देश को 70 के दशक में बहुत बड़े संकट से उबारा था
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भारत-नेपाल के सीमावर्ती रूपईडीहा इलाके में मोबाइल फोन पर तीन तलाक देने का मामला सामने आया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव ने कहा कि तीन तलाक को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित किया जा चुका है और अब इस मुद्दे पर फैसला करना सरकार के पाले में है।
ओवैसी ने तीन तलाक़ पर बने अध्यादेश को असंवैधानिक करार दिया
1925 में गठित समस्थ केरल जमाएतुल उलेमा केरल के सुन्नी उलेमा और विद्वानों की धार्मिक संस्था है। संस्था ने अपनी याचिका में तीन तलाक अध्यादेश को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के खिलाफ बताया है।
उन्होंने कहा कि ‘धर्म के दुरुपयोग’ के जरिए चलाई जा रही इस तरह की प्रथा पर तभी रोक लगाई जा सकती है जब लोगों को सजा होगी।
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