वित्त वर्ष 2018-19 में मालवहन के नए मानक लागू होने से भारी वाहनों की ढुलाई क्षमता में खासी कमी आई और वर्ष 2019-20 में भारत चरण-छह (बीएस-6) मानक लागू होने से नए ट्रकों के दाम 10-15 प्रतिशत बढ़ गए।
सरकार की मुश्किलें कम होती नही दिख रही है। अब किसानों के बाद व्यापारियों ने सरकार को चेतावनी दे दी है। डीजल की बढ़ती कीमतों और उच्च कर का विरोध करते हुए ट्रांसपोर्टरों ने हड़ताल पर जाने की रविवार को चेतावनी दी।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने राज्य में सोमवार से बुधवार तक बुलायी गयी हड़ताल को 'लॉकडाउन' का नाम दिया है।
मध्य प्रदेश में ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल के कारण अन्य जरूरी सामानों के साथ ही पेट्रोल, डीज़ल की सप्लाई भी बाधित बाधित हो गई है।
मोटर वेहिकल संशोधन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के खिलाफ आज गुरुवार को ट्रांसपोर्टरों ने हड़ताल की घोषणा की है। हड़ताल को देखते हुए दिल्ली के अलावा नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद आदि के कई स्कूल आज बंद रहेंगे।
माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत ट्रांसपोर्टरों के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में माल परिवहन के वास्ते जरूरी इलेक्ट्रॉनिक वे-बिल का इस्तेमाल एक अप्रैल से अनिवार्य किया जाना चाहिए।
जीएसटी, डीजल की बढ़ी कीमतों और सड़क पर भ्रष्टाचार को लेकर ट्रक परिचालकों ने 9 अक्तूबर से दो दिवसीय हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है।
असम पेट्रोलियम मजदूर यूनियन एपीएमयू से संबद्ध तेल टैंकर कर्मियों ने सोमवार से अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। न्यूनतम मजदूरी की मांग कर रहे हैं।
ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल का आज तीसरा दिन है। सवाल खड़ा होता है कि इस हड़ताल से अस्त व्यस्त हो रहे आम आदमी के जीवन के लिए असल में जिम्मेदार कौन है?
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