सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसे देखने के बाद 90 के दशक और 20s के शुरूआती दौर को जीने वाले लोगों को उनका बचपन याद आ जाएगा।
हर देश कुछ लोग या संगठन ऐसे होते हैं जो जरूरतमंद लोगों के लिए जरूरी सामान इकट्ठा करते हैं। इसके लिए वो लोगों से दान करने के लिए आग्रह करते हैं। इसमें लोग पुराने कपड़े, किताबें आदि सामान दान करते हैं जो दूसरे के काम की हो सकती हैं।
आने वाले समय में भारत में खिलौनों की डिमांड तेज होने वाली है। ऐसे में इस कारोबार में डिमांड बढ़ने से इससे कमाई की अच्छी संभावना है।
रिलायंस छोटी दुकानों में सस्ते खिलौने उपलब्ध करवाएगी। कंपनी रोवन के जरिये अपने खिलौना वितरण कारोबार का परिचालन करती आ रही है।
Indo-China Relation: खुद को अमेरिका, रूस, फ्रांस , इंग्लैंड और जर्मनी जैसे शक्तिशाली देशों से बेहतर आंकने वाला चीन भारतीय बच्चों से ही डर गया है। नन्हें-मुन्ने बच्चों ने ड्रैगन के चारों खाने चित्त कर दिए हैं। इससे पूरे चीन में हड़कंप मच गया है।
Made in India: खिलौनों के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाने और आयात के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) प्रमाणन अनिवार्य करने जैसे कदमों से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलने के अलावा खिलौना उद्योग को वैश्विक बाजारों में संभावनाएं तलाशने में भी मदद मिली है।
कारीगरों ने बताया कि इसकी ‘डिमांड’ बाहर से भी आ रही है और बनारस आने वाला पर्यटक भी इसे खरीद कर ले जा रहा है।
पिछले तीन वर्षों में खिलौनों के आयात में भारी गिरावट आई है। यह कई खिलौना समूहों में हजारों कारीगरों की भी मदद कर रहा है।
भारत भर से लगभग 1.2 लाख प्रतिभागियों ने टॉयकैथॉन 2021 के लिए 17000 से अधिक विचारों को पंजीकृत और प्रस्तुत किया, जिनमें से 1567 विचारों को फाइनल के लिये चुना गया है।
कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को देश में परिस्थितिकी की दृष्टि से स्वस्थ विनिर्माण सामग्री वाले खिलौने बनाने के वास्ते शोध संस्थाओं और खिलौना विनिर्माताओं को आमंत्रित किया।
सरकार के मानक संगठन ने सभी मॉल और हवाई अड्डों से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि उनके परिसर के भीतर कोई गैर-बीआईएस प्रमाणित खिलौने न बेचे जाएं।
सरकार इस बात का मूल्यांकन कर रही है कि घरेलू खिलौना उद्योग को किस तरह के प्रोत्साहन की आवश्यकता है। एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, सरकार चाहती है कि भारतीय खिलौने गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा दोनों हासिल करें।
वैश्विक मांग में भारत के निर्यात का हिस्सा 0.5 प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में इस क्षेत्र में काफी अवसर हैं। इस क्षेत्र में अभी चीन और वियतनाम जैसे देशों का दबदबा है। भारत का खिलौना निर्यात करीब 10 करोड़ डॉलर पर सीमित है।
भारत में खिलौनों का अपना इतिहास है, आज भी भारत में कारीगर ऐसे खिलौने बना और उपलब्ध करा रहे हैं, जो पिछले 300 सालों से बच्चों को खेल खेल में सिखाने का काम कर रहे हैं।
भारत के पारंपरिक खिलौनों को बढ़ावा देने की रणनीति पर काम जारी
छोटे नवाब तैमूर अली खान की शक्ल के सॉफ्ट टॉय मार्केट में मिलने लगे हैं। फोटोज हो रही हैं वायरल।
दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील ने प्री-विंटर दिवाली मेगा सेल की घोषणा की है। स्नैपडील की 3 दिवसीय प्री-दिवाली सेल की शुरुआत 24 अक्टूबर को हो चुकी है और यह 28 अक्टूबर तक चलेगी।
क्या आपको पता है कि ऐसे कई सेकंड हैंड खिलौने बच्चों के स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा कर सकते हैं....
महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) के जीप की कीमत 1960 में सिर्फ 12,421 रुपए थी। अब कंपनी का टॉय वर्जन भी इससे महंगा है। थार टॉय वर्जन की कीमत 17,900 रुपए है।
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