कई किसान अपनी फसल खेतों में ही नष्ट करने लगे हैं। टमाटर की तुड़ाई और उसे मंडी पहुंचाने तक 8500 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। मंडी में भाव कम होने से उन्हें ज्यादा नुकसान हो सकता है।
थोक मंडी के कारोबारियों का कहना है कि मंडी में टमाटर की अवाक कम हो गई है। इसके चलते कीमत में एकदम से उछाल आ गया है।
'टमाटर महोत्वसव' की तारीख को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इस खास महोत्सव में प्रसिद्ध 'बनारसी टमाटर चाट' कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण होगा।
थोक व्यापारियों और सब्जी विक्रेताओं का कहना है उत्पादक राज्यों में बारिश से फसल खराब होने से टमाटर की आवक घटी है, जिसके कारण कीमतों में यह तेजी आई है।
चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टमाटर उत्पादक देश है और कुल वैश्विक टमाटर उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी लगभग 11 प्रतिशत है।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में फसल के बर्बाद होने के कारण देश के अधिकांश खुदरा बाजारों में टमाटर की कीमतें 60 से 75 रुपए किलो की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं।
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